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पत्र: हरिलाल गांधीको


तथा दूसरे पत्र आदि लिखना। ऐसी मेरी दिनचर्या है। यह सारा कार्य में अकेला ही करता हूँ इसलिए समय बिलकुल ही नहीं बचता। रातको भी देर तक लिखता रहता हूँ। यह पत्र लिख रहा हूँ तब रातके ९-४५ हुए हैं और अभी दूसरे पत्र भी लिखनेको है।

फार्मपर श्री और श्रीमती जोन, रम्भाबाई, श्रीमती फिलिप, श्री के० नायडू और उनकी पत्नी- - इतने व्यक्ति हैं। मेरी पाठशालामें ५ लड़के और दो लड़कियाँ है। किन्तु सबकी कक्षा अलग-अलग है। इसलिए इतने लड़के-लड़कियाँ भी ज्यादा मालूम होते हैं।

अलोने आहारका मेरा नियम अभी चल रहा है। उससे मुझे लाभ हुआ है और जान पड़ता है कि बाका तो जीवन ही उसके कारण बचा है। मेरी समझ में तो बाका रंग ही बदल गया है। लड़के भी एक सप्ताह तक अलोना और दूसरे सप्ताह सलोना, इस क्रमसे यह नियम चला रहे हैं। ऐसा करते-करते सम्भव है कि वे पूरी तरह अलोने आहारपर आ जायें। श्री कैलेनबैकने भी अलोने आहारका प्रयोग शुरू किया है। उससे रक्तकी शुद्धि बहुत अच्छी होती है, ऐसा अनुभव आ रहा है।

मणिलाल फीनिक्समें ही है। वहाँ मेरा खयाल है कि उसका मन स्वस्थ और प्रसन्न रहता है।

मै श्री स्मट्ससे फिर मिला था। श्री क्विनके आदमी रिहा नहीं हुए, इसलिए अभी उनके रिहा होनेकी आशा करता हूँ। अब केवल दो ही व्यक्ति रह गये हैं। स्मट्सने नये विधेयकके विषयमें भी बातचीत की थी। बातचीतमें तो वह ठीक मालूम हुआ। शायद नेटालमें स्त्रियोंपर लगनेवाला कर भी उठा लें। प्रसंगत: मैंने यह बात भी छेड़ी थी।

चंची और रामीकी तबीयत कैसी रहती है सो लिखना। उन दोनोंको तुम' यहाँ जब भी भेजना चाहो, भेज देना। इसके लिए पैसा रेवाशंकरभाईसे लेना। बा तो उसके लिए तरस रही है। मैंने उससे कहा कि चूंकि तुम हिन्दुस्तानमें ही हो, इसलिए उनके आनेका निर्णय तुम्हारे ऊपर छोड़ना ठीक होगा।

तुम स्टीमरमें कुछ पढ़ पाये थे? बम्बईमें उतरनेपर तुम्हारे सामानकी किसीने जाँच की थी या नहीं, इत्यादि समाचार देना।

बापूके आशीर्वाद

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती प्रति (एस० एन० ९५३५) की फोटो-नकलसे ।

१.श्रीमती रम्भावाई सोढा ।

२. देखिए आत्मकथा, भाग ४, परिच्छेद २९ ।