अन्तमें क्या करना है। उसे तुम फीनिक्सके काममें लगाना चाहते हो या सिर्फ उसके स्वास्थ्यके खयालसे यहाँ लाये हो? तुम्हारा उद्देश्य जो भी रहा हो, उसे लाकर तुमने बुद्धिमानी ही की है। . . . समझ लेते थे कि शिष्योंकी सामान्य शक्ति कितनी है और उसका विकास करते थे। आजकी सारी शिक्षा तो मुझे शुद्ध पाखण्ड मालूम होती है। दावरकी संस्थाकी परिचय-पुस्तिका पढ़कर दुःख हुआ। ऐसी है आजकल मेरे मनकी दशा।
रेवाशंकर भाईका कर्ज बढ़ता जाता है। यह बात मेरे ध्यानमें है और मैं उसका उपाय सोचता रहता हूँ। तुमने जो कर्ज किया है, उसका विचार तो मुझे ही करना है। तुम अपने सिरपर व्यर्थका बोझ न लो, तो इससे तुम्हारा और मेरा, दोनोंका कल्याण होगा। अब इसके बाद कर्ज न लेनेका संकल्प कर लेना। तुम्हें खुशालभाईको कितना भेजना चाहिए, इस बातका खयाल रखते हुए लिखना कि तुम्हें हर मास कितना रुपया उठाना होगा। इस हिसाबमें कर्जका खयाल नहीं करना है। फीनिक्सके विधानमें परिवर्तन करनेकी जरूरत महसूस होती है। इस बातपर विचार करना और उसके विषयमें मुझे निस्संकोच भावसे लिखना। मैं अपने विचार सख्त शब्दोंमें व्यक्त करूँ, तो उसका खयाल न करना। मेरे मनकी दशा इस समय ऐसी है कि मैं अपने विचार कोमल या सांकेतिक शब्दोंमें नहीं रख सकता। किसी दीन-हीन मनुष्यके हाथ पारस-मणि लग जाये तो वह आनन्दसे कैसा नाचने लगेगा, इसकी कल्पना करना। ऐसी ... अभी निकट भविष्यमें ऐसा शायद न हो सके।
लड़कोंको मैंने (एडविन आर्नोल्डकी) 'इंडियन आइडिल्स' ('भारतीय आख्यान') नामकी पुस्तक पढ़कर सुनाई। उसमें 'महाभारत' के उपाख्यानोंका सुन्दर अनुवाद है। इन कहानियोंमें 'एन्चन्टेड लेक" नामकी कहानी भी पढ़ी। वह अद्भुत लगी। इसका संस्कृत नाम क्या है, इस बातका तुम्हें या किसी औरको पता हो तो मझे बताना इसका भावार्थ कविताके रूपमें अम्बारामसे करवाने और छापने की बात मेरे मनमें है। पानीकी आशासे सब पाण्डव एक सरोवरपर जाते हैं। किन्तु उतावलीके कारण वे उस सरोवरके अधिपति यक्षको उसके प्रश्नोंका उत्तर नहीं देते। इसलिए वहां मूछित होकर गिर पड़ते हैं। सबके अन्तमें युधिष्ठिर जाते हैं; वे उत्तर देने के बाद पानी पीते हैं। ये सब उत्तर कर्तव्यसे सम्बन्धित है और उनमें बड़ी विशेषता है। [यक्ष और युधिष्ठरके] इस सम्वादकी जानकारी शायद तुम्हें हो।
तुम धीरे-धीरे अंग्रेजीमें लिखनेका अभ्यास करते रहो, तो ठीक हो। यदि (डिकिन्सनकी) 'लेटर्स ऑफ़ जॉन चाइनामैन' तुम्हारी समझमें आती हो, तो तुम
१. आगेके दो पृष्ठ उपलब्ध नहीं है।
२. बम्बईका दावर कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स ।
३. यहाँ चार पृष्ठ गायब हैं।
४. देखिए महाभारत वनपर्व । यहाँ कोई वास्तविक सरोवर नहीं था । युधिष्ठिरकी परीक्षा लेनेके लिए धर्मराज द्वारा रचा हुआ एक माया सरोवर था।
५. अम्बाराम भट्टः उस समय सत्याग्रह आदि विषयोंको लेकर कविताएँ लिखते थे।