पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 11.pdf/१६७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१३२
क्षयरोग


गये। यह देखकर उनके पुराने मित्रोंको बड़ा आश्चर्य हुआ, क्योंकि उन्होंने श्री कैलेनबैंकको सदा "जीवनके सुखोंका" उपभोग करते हुए ही देखा था। श्री कैलेनबैक जहाजी यात्रा भी तीसरे दर्जेमें ही करेंगे।

लॉली स्टेशनपर टॉल्स्टॉय फार्म के सभी निवासी श्री कैलेनबैकको विदा करने आये थे।

हमें ज्ञात हुआ है कि श्री कैलेनबैकका इरादा इस अभिनन्दनपत्र और पात्रको अपने पास न रखकर जर्मनी में अपनी बहिनको दे देनेका है।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन,५-८-१९११

१११. श्री कैलेनबैक

हमारे पाठकोंको श्री कैलेनबैकका चित्र पाकर हर्ष होगा। यह चित्र हम इस सप्ताह कोड़-पत्रके रूपमें प्रकाशित कर रहे हैं। टॉल्स्टॉय फार्मके मालिकके रूपमें पाठक उन्हें अच्छी तरह जानते हैं। यह फार्म उन्होंने सत्याग्रहियोंके परिवारोंके निःशुल्क उपयोगके लिए दिया है। आज भी वह फार्म इसी काममें आ रहा है। श्री कैलेनबैक खास तौरपर जर्मनी में अपने परिवारके लोगोंसे मिलनेके लिए यूरोप जा रहे है और आशा करते हैं कि वे छ: महीनेके अन्दर ही लौट आयेंगे। पाठकोंको याद होगा कि जब श्री गांधी और श्री पोलक दोनों गैरहाजिर थे तब ब्रिटिश भारतीय संघके अवैतनिक मन्त्रीका काम श्री कैलेनबैकने ही सँभाला था। यह समय सत्याग्रहके इतिहास में बहुत नाजुक समय था।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन,५-८-१९११

११२. क्षयरोग

डॉ० म्यूरिसन, विशेषज्ञ डॉ० एडेम्सके साथ, डर्बन नगरमें क्षय-रोगके विरुद्ध एक मुहिम चला रहे हैं। इस विषयमें उन्होंने श्री गांधीको एक पत्र लिखा है। हम खास तौरपर नेटालके भारतीय पाठकोंका ध्यान इस पत्रकी तरफ दिलाते हैं। यह भयंकर रोग किसीका लिहाज नहीं करता। वह डर्बनमें रहनेवाले सभी समुदायोंमें फैला हुआ

१. डवन नगरके स्वास्थ्य विभागके अधिकारी; सन् १९०४ की महामारीमें गांधीजीने उन्हें बड़ा “ सहानुभूतिपूर्ण और सहायता करनेको तत्पर" पाया था; देखिए खण्ड ४, पृष्ठ २४२-४३ और ३५७ । उन्होंने जुलाई १०, १९११ को गांधीजीके एक पत्र (जो उपलब्ध नहीं है) के जवाबमें लिखा था कि एक भारतीय समिति तथा बीस स्वयंसेवकोंको महामारी निवारणके लिए डर्बनके स्वास्थ्य विभागको सहायता देनी चाहिए ताकि छुभाछतको वीमारियों को दूर रखनेते सम्बन्धित नगर-उपनियमोंको लागू करनेका अवसर न आये।