पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 11.pdf/१७६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१४०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


होती है उनको अवगणना करना असम्भव है। अनुभव यह है कि आम तौरपर भारतीय माता-पिता अपनी लड़कियोंको शालाओंमें या अन्यत्र लड़कोंके साथ मिलनेजुलनेकी आज्ञा नहीं देते। और यदि उन्हें जबरदस्ती एक-साथ रखनेका कोई प्रयत्न किया जाता है तो उसका नतीजा बहुत ही अजीब निकलता है। लड़कियों और लड़कों, दोनोंको ही बड़ा अटपटा मालूम होता है। जल्दबाज सुधारक झल्लाकर कहता है "होने दो। अगर दखल न दिया जाये तो उनकी पटरी आपसमें जल्दी ही बैठ जायेगी।" परन्तु माता-पितामें इस प्रक्रियाके योग्य धैर्य नहीं होता। वे सुधारक नहीं हैं, और अपने बच्चोंकी बरबादीका खतरा उठाकर ऐसा प्रयोग नहीं होने देंगे। और फिर आग्रहपूर्वक ऐसा सुधार करनेकी ऐसी जल्दी भी क्या है ! गतिरोध तो पैदा हो चुका है। जहाँ पहले तीस लड़कियोंकी उपस्थिति थी वहाँ अब शिक्षा-विभागके एक सुधारकके मुर्खता-भरे जोशके कारण यह दससे भी कम रह गई है। हमें ज्ञात हुआ है कि जो थोड़े-से माता-पिता इस आशासे कि शीघ्र ही अलग प्रबन्ध हो जायेगा, अभीतक अपनी लड़कियों को पढ़ने के लिए भेजते रहे थे, अब उन्होंने भी अपनी लड़कियोंको हटा लिया है। कांग्रेस और अभिभावकोंकी प्रार्थना है कि भारतीय लड़कियोंको अलग-से शिक्षा प्राप्त करनेकी सुविधा मिले। यदि सरकार इसे नहीं माने और तब उसपर यह सन्देह किया जाये कि उसके मनमें भारतीय विरोधी पूर्वग्रह है तो सरकारको इसपर आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, १९-८-१९११

१२१. भारतीय माता-पिताओंके लिए

हम स्वीकार करते है कि जनरल हेटसॉगकी बहुत सारी घोषणाओंके लिए हमारे दिलमें बहुत थोड़ा आदर है। [किन्तु] शिक्षा और राष्ट्रीयताके संरक्षणके बारेमें जोहानिसबर्गके पत्रोंमें छपे उनके जो विचार हम अन्यत्र इसी अंकमें दे रहे है वे भारतीय माता-पिता और युवकोंके पढ़ने और मनन करने योग्य हैं। हम लोगोंमें बच्चोंको अंग्रेज बनानेकी प्रवृत्ति पाई जाती है, मानो उन्हें शिक्षित करनेका और साम्राज्यको सच्ची सेवाके योग्य बनाने का वही सबसे उत्तम तरीका हो। हमारा ख्याल है कि समझदारसे-समझदार अंग्रेज भी यह नहीं चाहेगा कि हम अपनी राष्ट्रीय विशेषता -- अर्थात् परम्परागत प्राप्त शिक्षा और संस्कृतिको छोड़ दें अथवा यह कि हम उनकी नकल किया करें। हमारे ख्यालसे जनरल हेटसॉगने बहुत स्पष्ट रूपसे कहा है कि यदि डच बच्चोंको

१. अगस्त १२, १९११ को न्यूलंडस गवर्नमेंट स्कूलमें मौजूदा शिक्षा-पद्धतिकी आलोचना करते हुए जनरल हेटसॉगने कहा था कि उसका आधार रटना और परीक्षाएँ पास करना है, जिससे सिर्फ वकील और डॉक्टर बननेके इच्छुक लोगोंको ही लाभ हो सकता है, और शेष ९७ प्रतिशत लोगोंको नुकसान उठाना पड़ता है। उन्होंने शिक्षाम चरित्र-निर्माण, तकनीकी प्रशिक्षण तथा मातृभाषाके महत्वपर बहुत जोर दिया था।