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एक क्षोभकारी मामला

<bभारतीयों के पास व्यापार करनेके परवाने भी हैं। नगर-परिषद्को यह बरदाश्त नहीं है। उसे इस बातसे कोई सरोकार नहीं कि यदि ये भारतीय व्यापार नहीं करें तो अपना गुजर कैसे करें। और न उसे इस बातसे ही कोई वास्ता है कि इस बस्तीके रहनेवाले भारतीयोंकी जमिस्टनके यूरोपीय व्यापारियोंसे किसी प्रकार होड़ नहीं है। नगर-परिषद्के विचारमें तो किसी भारतीयके लिए व्यापार करना ही गुनाह है।

परन्तु इन बस्तीके भारतीयोंको व्यापार करनेसे सीधे और वैध तरीकेसे, रोकनके लिए नगर-परिषदके पास कोई सत्ता नहीं है। इसलिए उसने उपर्यक्त नोटिसोंका सहारा लिया है। परिषदका खयाल है कि चंकि इन बाड़ोंके पट्टे भारतीयोंके नामपर नहीं हैं, इसलिए वह उन्हें वहाँसे बिना जांच-पड़तालके तुरन्त निकाल बाहर कर सकती है। याद रहे कि इन बाड़ोंपर अपनी रकम लगाकर भारतीयोंने खासी इमारतें बनवा ली हैं अर्थात् यदि इन्हें वहाँसे हटाया गया तो उसका अर्थ उनके लिए बरबादी ही होगी। और इन बाड़ोंमें बसे हुए भारतीयोंने भी नगर-परिषद्को यही लिखा है। हर्षका विषय है कि भारतीयोंने निश्चय किया है कि वे नगर-परिषद्के इस नोटिसपर कोई ध्यान नहीं देंगे। हमें इसमें कोई सन्देह नहीं है कि परिषद्का विचार इस नोटिसपर अमल करके अपने को अधिक हास्यास्पद बना लेनेका नहीं है, तो यह नोटिस जैसाका-तैसा पड़ा रह जायेगा।

इस नोटिससे प्रकट हो जाता है कि दक्षिण आफ्रिकामें हमारे देशवासियोंका जीवन कैसा विपन्न है।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, २३-९-१९११

१३०. एक क्षोभकारी मामला

किन्हीं दो भारतीयोंकी ओरसे, जिनका दावा था कि उन्हें इस प्रान्त निवासका अधिकार है, जमा की गयी सौ-सौ पौंडकी जमानतोंको जब्त कर लिये जानेके सम्बन्धमें नेटाल भारतीय कांग्रेसने गृह-मन्त्रीके नाम एक आवेदनपत्र भेजा था। उसे हम पहले ही प्रकाशित कर चुके हैं। नटालके प्रवासी कानूनोंमें व्यवस्था है कि कोई व्यक्ति १०० पौंड जमानतके तौरपर जमा करके अपना दावा सिद्ध करने के लिए इस प्रान्तमें आता है; परन्तु यदि वह अपने दावेके बारेमें मजिस्ट्रेटको सन्तुष्ट न कर सके तो यह जमानत जब्त की जा सकती है। किन्तु ऐसी असफलताका कानूनी परिणाम जमानतकी जब्ती नहीं है। जमानतको जब्त करने या न करनेका आदेश देना मन्त्रीकी मर्जीकी बात है। हमारे सामने जो दो मामले है उनमें जमानत इन लड़कोंने स्वयं जमा नहीं की थी। इसके

१. मई १५को दो नाबालिग लड़के डवन पहुंचे। इनमें से एकके पिता डनवासी सैयद अहमद थे और दूसरेके वेरुलमके श्री एम० एम० नायलिया। मुख्य प्रवासी अधिकारीने बच्चोंको जहाजपर से उतरनेसे रोक दिया। कारण उसने यह बताया कि उसकी रायमें एककी उम्र १६ वर्षसे अधिक थी और दूसरा इस वातको संतोषप्रद ढंगसे सिद्ध नहीं कर पाया कि वास्तवमें वही व्यक्ति उसका पिता था, जिसे उसने