नेटाल भारतीय कांग्रेसको इस सप्ताह कलकत्तासे एक समुद्री तार मिला है, जिसमें पूछा गया है कि क्या गांधी आगामी दिसम्बरमें कलकत्तामें होनेवाले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके अधिवेशनका सभापतित्व कर सकेंगे। इसपर नेटाल भारतीय कांग्रेसके नेताओंने तार और टेलीफोन द्वारा श्री गांधीसे विचार-विनिमय किया और इस बात पर जोर दिया कि वे इसे मंजूर कर लें। इसके जवाबमें श्री गांधीने पहले तो कहा कि इस समय उनके लिए ट्रान्सवाल छोड़कर कहीं जाना सम्भव नहीं होगा। परन्तु अन्तमें उन्होंने सूचित किया कि यदि इससे मातृभूमिकी कुछ सेवा हो सकती है तो वे मंजूर कर लेगे; परन्तु केवल एक शर्त होगी: वह यह कि अधिवेशन समाप्त होते ही उन्हें दक्षिण आफ्रिका वापस लौटने दिया जायेगा। तदनुसार इस आशयका जवाब समुद्री तार द्वारा भेज दिया गया। इस अंककी छपाईके दरम्यान अभीतक कोई आगेका समाचार नहीं मिला है।
[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, ३०-९-१९११
१३४. एक पत्रका अंश
[अक्तूबर २, १९११ के लगभग]'
तुम उतनी ही जगहमें धीरे-धीरे चहलकदमी या ऐसे ही दूसरे हलके व्यायाम करना। दस्त न आता हो तो रातको पेड़पर मिट्टीकी पट्टी बाँधना। ऐसे उपचारोंसे लुटावन नामका एक व्यक्ति, जो बहुत बीमार था, स्वस्थ होकर अपने घर लौट गया है। वह जब आया था तब इतना खाँसता था कि मैं मुश्किलसे सो पाता था। वह खांसते-खाँसते दुहरा हो जाता था। उसके शरीरमें हड्डियाँ ही हड्डियाँ रह गई थीं। वह यहाँ आधा घंटा कूनकी विधिसे टबमें बैठकर. . . विशेष सलाह तो देखकर ही दी जा सकेगी।
१. गांधीजीने यहाँ उस दूसरी शतका उल्लेख नहीं किया है जो उन्होंने एक व्यक्तिगत तारमें सूचित की थी; देखिए “ पत्र : डॉक्टर प्राणजीवन मेहताको", पृष्ठ १६१ ।
२. इस पत्रके पहले दो पृष्ठ खो गये हैं।
३. इस पत्रमें मणिलाल डॉक्टरके आनेका उल्लेख है। वे अक्तूबर २, १९११ को डवन पहुँच गये देखिए “पत्र : डॉक्टर प्राणजीवन मेहताको", पृष्ठ १६१ ।
४. देखिए दक्षिण आफ्रिकाका सत्याग्रह, अध्याय ३५ ।
५. यहाँ एक शब्द गायब है।