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पत्र : डॉक्टर प्राणजीवन मेहताको


है और कुछ हद तक उसे कर्त्तव्य भी माना जाना चाहिए। मेहमानके लिए यद्यपि काम करनेका नियम लागू नहीं होता तथापि ऐसे मेहमानोंकी श्रेणीमें मणिलालका नाम नहीं गिना जा सकता। उन्होंने अपना यह दुराग्रह बहत सहज ही, हँसते-हँसाते, ऐसे निर्दोष ढंगसे निबाहा है कि उपर्युक्त टीका करते हुए मुझे थोड़ी हिचक ही हो रही है।

मणिलालने मॉरिशसमें सार्वजनिक काम ठीक किया है और जान पड़ता है कि वे हिन्दुओंके बड़े प्रीति-भाजन हो गये हैं। अपनी बेसब्रीके कारण ही वे मुसलमानोंका स्नेह प्राप्त नहीं कर सके हैं और न उसे पानेका साग्रह कोई प्रयत्न ही किया है।

स्वयं उनका विचार तो मॉरिशस छोड़नेका लगता है। वहाँ वे कुछ कमाई कर सकेंगे ऐसा उन्हें नहीं दीखता; और वे साफ-साफ ऐसा कहते भी हैं कि एक लम्बे अर्से तक कमाईके लिए रुके रहनेका धीरज उनमें नहीं है।

वे यहाँ आये है इसका एकमात्र कारण आपका बहुत ज्यादा आग्रह ही है; फिर यह भी नहीं दीखता कि यहाँ आकर वे पछताये हों।

उनका विचार यहाँ अथवा नेटालमें बस जानेका है; और यदि बस जाना चाहें तो अपने खर्चके लायक तो पैदा कर ही लेंगे। यदि इतना न कर पायें तो मैं तो दोष उन्हींका मानूंगा।

मेरी राय तो यह है कि जब वे मॉरिशस जा चुके हैं, वहाँ काफी सार्वजनिक काम भी किया है और लोगोंकी प्रीति सम्पादित की है तो फिर जो भी कष्ट उठाने पड़ें, जबतक मॉरिशसमें आजीविका चलने नहीं लगती तबतक वहीं रहना उत्तम मार्ग है।

पर इस सम्बन्ध में विचार करना व्यर्थ है। दूसरा मार्ग यह है कि वे यहाँ आकर फीनिक्समें शिक्षा अथवा अन्य किसी बड़े कार्यमें लग जायें-- ऐसी स्थितिमें उनका खर्च हमीको देना होगा।

लेकिन उन्हें यह विचार भी पसन्द नहीं है, अत: अब यहाँके खयालसे तो वकालत ही रही और कुछ समय तक वकालत करना ही उन्हें ठीक अँचता भी है

और विवाह तो अब कर दिया जाना ही ठीक मालूम होता है। उनका कहना है कि जेकी भी उकता रही है। जेकीकी तबीयत खराब रहती हो तो भी, मेरे खयालसे, इसमें विलम्ब करना अब उचित नहीं होगा। यदि वह माता बननके योग्य न हो तो दोनों विचारपूर्वक रहेंगे, ऐसी आशा हम करें और ऐसा ही मानें; यदि वैसे न रहें या रह सके तो जैसा जेकीका नसीब।।

अत: मणिलालका खयाल है कि यदि उन्हें यहाँ आना है तो जकीको साथ लेकर ही आना चाहिए। जेकी यदि आये तो उसे फीनिक्समें और मेरे सम्पर्कमें रहना है, इसके लिए मणिलाल भी राजी हैं। मणिलाल स्वयं मेरे रहन-सहनको अपना नहीं सकते किन्तु उसे पसन्द करते हैं। इसलिए अगर जेकीको यह अनुकूल लगे तो वे इसे ठीक मानते है।

१. जयकुँवर; डॉ० मेहताकी पुत्री ।

२, दक्षिण आफ्रिकामें बसनेके ख्यालसे ।