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१४२. पत्र : गो० कृ० गोखलेको'

टॉल्स्टॉय फार्म
लॉली स्टेशन
ट्रान्सवाल
अक्तूबर २४, १९११

प्रिय श्री गोखले,


मैं आपको कांग्रेसकी अध्यक्षताके झमेलेके बारेमें एक लम्बा-सा पत्र लिखना चाहता हूं। सचमुच यहाँ तो वह एक झमेला ही बन गया था। परन्तु उसके बारेमें फिर कभी।

आप जानते ही हैं कि श्री मणिलाल डॉक्टरने मॉरिशसमें बड़ा अच्छा सार्वजनिक कार्य किया है और वे वहाँके गरीब भारतीयोंके स्नेह-भाजन बन गये हैं। वे उनके गाढ़े समयके मित्र सिद्ध हुए हैं। वे दक्षिण आफ्रिकाकी यात्रा करने आये हुए हैं और सम्भव है कि निकट भविष्यमें वे यहीं किसी प्रान्तमें रहने लगे। इसी बीच वे कांग्रेसके अधिवेशनमें शामिल होने भारत जा रहे हैं। उनका मंशा वहाँ गिरमिट प्रथाकी पूरी-पूरी निन्दाका प्रस्ताव पास करानेका है। मैं उनसे पूर्णतः सहमत हूं और मेरा विचार है कि इस प्रथासे किसीका भी कोई हित नहीं हुआ। अठारह वर्षोंमें मैने जो कुछ देखा है उससे मैं समझ गया हूँ कि भारतमें हमारी जो समस्याएँ है इस प्रथासे उनका कोई हल निकलनेवाला नहीं है। इसलिए मैं आशा करता हूँ कि आप श्री मणिलालके प्रयत्नोंको सफल बनानेकी दिशामें कुछ-न-कुछ करनेका रास्ता ढूंढ निकालेंगे।

हृदयसे आपका
मो० क० गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी प्रति (जी० एन० ३८०९) की फोटो-नकलसे।

१. गांधीजीने मणिलाल डॉक्टरको कुछ परिचय-पत्र देनेका वादा किया है । यह उन्हीं पत्रोंमें से एक है; देखिए “पत्र : डॉक्टर प्राणजीवन मेहताको", पृष्ठ १६६ ।

२. “झमेले "के लिए देखिए, “ श्री गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस", पृष्ठ १५७ और “पत्र : डॉक्टर प्रागजीवन मेहताको", पृष्ठ १६१ और १६४ तथा पत्र : गो० कृ० गोखलेको”, पृष्ठ १७१-७३ ।