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१४३. श्री और श्रीमती पोलक'


अबतक श्री और श्रीमती पोलक कदाचित् भारतके लिए रवाना हो चुके होंगे। श्री पोलकका मुकाम थोड़े ही दिनों यूनाइटेड किंगडममें रहा किन्तु वे इसी अवधिमें वहाँ अपना एक असर छोड़ गये। असलमें कठिन परिश्रमके बाद जिन दिनों उन्हें विश्राम करना था उन्होंने तब भी एक सच्चे सिपाहीकी निष्ठा और उत्साहसे लॉर्ड ऍम्टहिलकी समितिमें काम किया। श्री पोलकने अपनी इस लन्दन यात्राके दरमियान जो एक अत्यन्त व्यस्त कार्यक्रम बना लिया था, उसका भव्य समारोप श्री तथा श्रीमती पोलकको विदाईदेनेके लिए सर मंचरजीके सभापतित्वमें की गई सभाके द्वारा हआ।

श्री पोलकने संघ-सरकारको याद दिलाया है कि यदि वह नेटालके गिरमिटिया भारतीयोंपर लगाया गया कर रद नहीं करती और ट्रान्सवालके भारतीयोंको बस्तियों में खदेड़नेका यत्न करती है तो उसे सख्त विरोधका मुकाबला करना पड़ेगा। हम आशा करते हैं कि सरकार इस याददिहानीपर गौर करेगी। एशियाई विरोधी इस मुहिमका अन्त होना ही चाहिए। और इसका सबसे उत्तम तरीका यही है कि स्थानीय सरकार अधिवासी भारतीयोंपर हो रहे अत्याचारोंमें भागी न बने ।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, २८-१०-१९११

१४४. सत्याग्रहका एक नतीजा

ट्रान्सवाल भारतीय महिला संघ (ट्रान्सवाल इंडियन वीमेन्स एसोसिएशन) अपनी बनाई हुई चीजोंकी प्रदर्शिनी और बिक्रीके लिए बाजार लगानेका जो प्रयत्न कर रहा है उसमें मदद पहुँचानके लिए बम्बईमें निर्मित समितिकी अवैतनिक संयुक्त मन्त्रिणियों, श्रीमती जमनाबाई नगीनदास सकाई और श्रीमती जाईजी जहाँगीर पेटिट ( पिछले अंक प्रकाशित) के असाधारण पत्रको हम अपने पाठकोंसे पढ़नकी सिफारिश करते हैं।

१. देखिए “पोलकका कार्य", पृष्ठ १११ भी।

२. इंग्लैंडमें रहते हुए द० आ० वि०भा० समितिकी ओरसे किये गये पोलकके कामकी जानकारीके लिए देखिए परिशिष्ट ८ ।

३. अपने विदाई समारोहके अवसरपर पोलकने बोलते हुए भविष्यवाणी की कि इन दोनों मुद्दोंपर “ संवर्ष" अवश्यम्भावी है। उन्होंने यह विश्वास भी व्यक्त किया कि १९१२में अस्थायी समझौतेको “कानूनी रूप दिया जायेगा। इंडियन ओपिनियन, २१-१०-१९११ ।।

४.ये गुजराती हिन्दी स्त्री-मण्डलकी अध्यक्षा भी थीं।

५. इनके पति श्री जहाँगीर पेरिट दक्षिण बम्बईकी आफ्रिका समितिके सदस्य थे। इस समितिने ट्रान्सवाल सत्याग्रह संवर्षकी मददके लिए बड़ी आर्थिक सहायता दी थी । ये उन लोगोंमें से एक थे जिन्होंने कांग्रेसकी अध्यक्षताके लिए गांधीजीके नामका सुझाव दिया था।