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सत्याग्रहकी जीत


इस समितिके सदस्योंकी नामावलीसे ज्ञात होता है कि इसमें बम्बईके सर्वोत्तम मुसलमान, पारसी और हिन्दु परिवारोंकी महिलाएँ हैं। इन्होंने जो उपहार भेजे है उनपर कीमतकी दृष्टिसे विचार नहीं किया जाना चाहिए। वे तो इस बातका प्रमाण हैं कि हमारे देशकी संभ्रान्त महिलाओंको अपने अपेक्षाकृत उन दीन और गरीब भाइयोंका कितना खयाल है जो स्वदेश छोड़कर, इस देशको अपना मानकर यहाँ आ बसे हैं; और बम्बईकी महिलाओंने ही हमारी चिन्ता की हो, सो नहीं है, बल्कि कलकत्ताकी महिलाओंने भी संघ द्वारा भेजी गई अपीलके उत्तरमें हमें दिल खोलकर मदद पहुँचाई है।

यह ट्रान्सवाल महिला संघ स्वयं सत्याग्रहकी लड़ाईके अनेक महत्वपूर्ण फलोंमें से एक है। यह सच है कि इसमें जोहानिसबर्गकी केवल थोड़ी-सी भारतीय महिलाएँ ही हैं। उनमें से सब नहीं तो अधिकांश सत्याग्रही परिवारोंकी हैं। संघकी वर्तमान गतिविधियोंका श्रेय श्रीमती वॉगलकी सूझबूझको है, जिनका हाथ कुमारी श्लेसिन बॅटाती आ रही हैं। कह सकते है, श्रीमती वाँगल इस बाजारके संगठनम गत बारह महीनोसे जुटी हुई हैं। अपनी फुरसतका सारा समय उन्होंने इसीमें लगाया है। उनके प्रशिक्षण और मार्गदर्शनमें हमारी बहने काम सीख रही है और जोहानिसबर्गकी जनताको उसकी सराहना या आलोचना करनेका अवसर प्राप्त होगा।[१] ट्रान्सवाल महिला संघमें एक ऐसी महान् भावी संस्थाके तत्व' पड़े हैं जो दक्षिण आफ्रिकाके भारतीयोंके लिए बड़े महत्वकी चीज साबित हो सकते है। यदि हमारी भारत-स्थित बहिनोंने विचारपूर्वक मदद पहुँचाई तो इस महान् आयोजनमें उनका योगदान बहुत प्रशंसनीय होगा। यह इन महिलाओं और उस सत्याग्रह संग्रामके लिए गौरवकी बात है जिसने ट्रान्सवाल महिला संघ तथा भारतीय महिला समितिके निर्माण और कार्योंमें दिखाई देनेवाले ऐसे भव्य सामंजस्यको सम्भव बनाया है।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, २८-१०-१९११

१४५. सत्याग्रहकी जीत

दीवालीके त्यौहारपर कुछ हिन्दुओंने पटाखे छोड़े। इसपर डर्बनकी पुलिसने झल्लाकर एक प्रमुख हिन्दू सज्जनको गिरफ्तार कर लिया। सबने इसको यों ही न जाने देनेका निश्चय किया। बात श्री दाउद मुहम्मद और पारसी रुस्तमजीके पास पहुँचाई गई। वे तुरन्त मेयरके पास गये और उन्होंने उनसे कहा कि जब बड़े दिनपर गोरे पटाखे छोड़ते हैं तब फिर हिन्दू अपने त्यौहारपर क्यों न छुड़ाएँ? और इसके लिए मंजूरी लेनेकी क्या बात है? बड़े दिनपर कोई अनुमति नहीं मांगता। फिर भी यदि आप पटाखे छोड़नेवाले हिन्दुओंपर जुल्म करनेका इरादा करेंगे तो उनके प्रति सहानुभूति प्रकट करने के लिए हम पटाखे छुड़ायेंगे। इसपर आप जिन्हें पकड़ना चाहें पकड़ ले जाइएगा।

  1. देखिए “पत्र: मगनलाल गांधीको", पृष्ठ ७७ ।