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१५५. पत्र : मणिलाल गांधीको

मार्गशीर्ष सुदी ६ [नवम्बर २७, १९११][१]

चि० मणिलाल,


तुम्हारा पत्र मिला है। मैंने तुमसे पूछा था कि सैमने[२] [टॉल्स्टॉय] फार्मके कौन-कौन दोष बताये. इस प्रश्नका उत्तर देना तम भल गये हो।

मेरे स्वास्थ्यके बारेमें चिन्ता करनेकी कोई बात नहीं है। मेरे बाल बहत छोटेछोटे हैं, इससे तुम्हें लगा कि मेरी तबीयत खराब है। मैं १२ बजे सोता हूँ और ३ बजे उठ जाता हूं, ऐसा नहीं होता। ज्यादातर मैं ११ बजे सोता हूँ और साढ़े पाँच या छः बजते-बजते उठ बैठता हूं। इसमें कोई खास बात नहीं है। इसलिए मेरे विषयमें तुम्हें बिलकुल निश्चिन्त रहना चाहिए। मेरा आज भी यह खयाल है कि मैं तुम सब लोगोंकी अपेक्षा अधिक समय तक काम कर सकता हूं। यह हो सकता कि मुझसे ज्यादा देर तक जागा न जाये। फोटोमें मेरे समीप जो महिला खड़ी है, वह मेयरकी पत्नी[३] है।

तुमने सोचा, उससे पहले ही मेरे मनमें यह विचार आया था कि यदि तुम वहाँसे मुक्त हो सको, तो तुम्हें दिसम्बर...[४]

. . बाजारसे लगभग १५० पौंड इकट्ठे हुए होंगे। खर्च घटाकर १०० पौंड जरूर बच रहेंगे।

बापूके आशीर्वाद

[पुनश्चः]

मि० चैमनेके पत्रका जवाब[५] में भेज दूंगा।

सौजन्य : श्रीमती सुशीलाबेन गांधी।

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती प्रति (सी० डब्ल्यू० ९८) से।

  1. १. पत्रके अन्तिम अनुच्छेदमें श्रीमती वॉगल द्वारा आयोजित 'बाजार' का उल्लेख हुआ है; श्री हॉस्केनने उसका उद्घाटन नवम्बर ८, १९११ को किया था।
  2. २. गोविन्दस्वामी; फीनिक्स आश्रममें प्रेसके फोरमैन ।
  3. ३. इस फोटोसे सम्भवत: उसी फोटोकी ओर संकेत है जो श्रीमती वॉगलके भारतीय बाजारमें उतारी गई थी। इंडियन ओपिनियन (२५-११-१९११)में इस बातका उल्लेख है कि मेयर वहाँ उपस्थित थे।
  4. ४. इसके बादके दो पृष्ठ गायब हैं।
  5. ५. यह उपलब्ध नहीं है।