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१५७. पत्र : ए०एच० वेस्टको

मंगलवार [नवम्बर २८, १९११][१]

प्रिय' वेस्ट,

तुम्हारे पत्रका उत्तर विस्तारसे देना पड़ेगा। लेकिन इस समय मैं उन सभी मुद्दोंपर चर्चा नहीं कर सकता। कल मैं शहरमें न था। तुम्हारा पत्र कल रात ही मिला।

अभी मैं अपनी कोई राय नहीं बना पाया हूँ। ऊपरसे देखनेपर तो सभी बातें...[२] के विरुद्ध मालूम पड़ रही है और मुझे भेजे गये उनके पत्रसे भी ऐसा ही लगता है। लेकिन तब भी बात विश्वासके योग्य नहीं लगती। मुझे विश्वास नहीं कि...[३] सर्वथा निर्दोष है। यदि...[४] ने ऐसा किया है तो उन लोगोंको यह भी मालूम था कि चीज गलत है। ...[५] से पता चलता है कि उसका मन विकृत है, चाहे वह अनजाने में ही हो। यदि...[६] ने यह किया है तो उनका मन्शा किसी प्रकारकी शरारतका नहीं था। मेरी नजरमें यह अपराध अपने-आपमें अधिक गम्भीर नहीं है, लेकिन उसका अपराधको छिपाये रखना वास्तवमें गम्भीर है। यह अपराध मामूली-सा अपराध है सो मैं नहीं कहता। मेरा कहना यह है कि उसे छिपाना अधिक गम्भीर अपराध है। मैंने उन्हें पत्र इसी बातको ध्यानमें रखकर लिखा है।

मणिलाल अभी बालक है। आज्ञा-पालन करना उसका फर्ज है। इसलिए इच्छाके न होते हुए भी उसे वहाँ रहना चाहिए।

 
  1. लगता है कि यह पत्र टॉलस्टॉय फार्मसे लिखा गया था। इसलिए यह दक्षिण आफ्रिकामे आनन्दलाल गांधीके पहुँचनेकी तिथि, २० जुलाई, १९११ (देखिए पत्र : मगनलाल गांधीको", पृष्ठ १२४) और गांधीजीके फीनिक्समें जाकर रहनेके समय, जनवरी, १९१२ के मध्यके आसपास", के बीचमें ही कभी लिखा गया होगा। इस कालमें आनन्दलाल गांधी द्वारा चन्दा इकट्ठा करनेके लिए किये गये दौरेका उल्लेख केवल दो ही जगह -इंडियन ओपिनियनके नवम्बर २५ और दिसम्बर ९, १९११के अंकोंके गुजराती भाग--मिलता है। पहलेमें उल्लेख है कि आनन्दलाल गांधी चन्दा इकट्ठा करनेके लिए दौरेपर निकले है, और दूसरे स्थानपर --दिसम्बर ३ को लिखे गये एक लम्बे लेखसे लिये गये एक उद्धरणमें कहा गया है कि भारतीय दुर्भिक्ष कोषके लिए चन्दा इकट्ठा करनेके सिलसिले में आनन्दलाल गांधी भी फोक्सवर्ग पहुँचकर अन्य लोगोंमें शामिल हुए । अकालका उल्लेख (प्राणजीवन मेहताके पत्रोंमें पहले उल्लिखित पृष्ठ १५५, १६१ और १७८) इस बातकी पुष्टि करता है कि यह पत्र १९११में लिखा गया होगा। मंगलवारके इस पत्रमें गांधीजी लिखते हैं कि “आनन्दलाल गांधी अधिकसेअधिक शनिवारको यहाँसे चल देंगे" और "बुधवारको" 'इंडियन ओपिनियन के लिए कुछ गुजराती लेख भेजनेका वचन दिया है। इसलिए प्रकाशित समाचार-लेखोंके आधारपर, यह अनुमान ठीक मालूम पड़ता है कि यह पत्र २५ नवम्बर और ३ दिसम्बरके बीच लिखा गया था, और दोनों तिथियों के वीचका मंगलवार २८ नवम्बरको पड़ा था। दूसरे समाचार-लेखसे पता चलता है कि आनन्दलाल गांधी वास्तवमै ३ तारीखकी सुबह, अर्थात् रविवारको, रवाना हुए थे।
  2. इन स्थानोंपर शब्द या वाक्यांश नहीं दिये जा रहे हैं।
  3. इन स्थानोंपर शब्द या वाक्यांश नहीं दिये जा रहे हैं।
  4. इन स्थानोंपर शब्द या वाक्यांश नहीं दिये जा रहे हैं।
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  6. इन स्थानोंपर शब्द या वाक्यांश नहीं दिये जा रहे हैं।