पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 11.pdf/३५

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१. तार : जोहानिसबर्ग कार्यालयको

केप टाउन
अप्रैल १,१९११

गांधी
जोहानिसबर्ग


फ्री स्टेटवाले इस मंगलवारको। समय विचार कर रहे है। अन्तिम निर्णय सम्भवतः

गांधी


मूल अंग्रेजी तारकी प्रति (एस० एन० ५३९७) की फोटो-नकलसे ।

२. मगनलाल गांधीको लिखे पत्रका अंश

चैत्र सुदी ३ [अप्रैल २, १९११]

चि० मगनलाल,

मैंने डॉ० मेहतासे केवल उनका विचार जानना चाहा था। उत्तरमें मुझे उन्होंने तुम्हें तथा एक किसी और आदमीको शीघ्र ही इंग्लैंड भेजनेकी अनुमति दे दी है। इस अनुमतिका लाभ हम अभी तुरन्त तो नहीं उठा सकते; किन्तु तुम्हें यह इसलिए लिखे दे रहा हूँ कि यह बात तुम्हारे ध्यानमें रहे। यदि छगनलाल स्वदेश जायेगा तो देरी हो जायेगी, मेरा भी ऐसा ही


गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती प्रति (सी० डब्ल्यू० ५६२६) से।

सौजन्य : छगनलाल गांधी


१. औरेंज फ्री स्टेटके संघ संसद्-सदस्य; ये आफ्रिकावासी भारतीयोंकी इस माँगपर विचार कर रहे थे कि स्मट्स-गांधी समझौतेके अन्तर्गत हर साल जिन छ: भारतीयोंको उपनिवेशमें आने दिया जायेगा, उन्हें फो स्टेटमें अधिवासका पूरा अधिकार भी दिया जाये। प्रस्तावित प्रवासी प्रतिबन्धक विधेयकमें उन्हें यह अधिकार नहीं दिया गया था; देखिए खण्ड १०, पृष्ठ ५०२-०३, ५१२-१४ और ५३२-३३ ।


२. मगनलाल गांधीके इंग्लैंड जानेकी बातपर सरगरमीसे विचार सन् १९११ में किया गया था । उस वर्ष चैत्र सुदी ३ को अप्रैलकी २ तारीख पड़ी थी; देखिए “ पत्र : मगनलाल गांधीको", पृष्ठ ७६-७७ ।


३. डॉ० प्रागजीवन मेहता, एम० डी०, वैरिस्टर, जिन्होंने गांधीजीके सन् १८८८ में इंग्लैंड पहुँचते ही उनकी देख-रेखका भार अपने ऊपर ले लिया और उन्हें अंग्रेजी शिष्टाचार सिखाया" । वे तबसे मृत्यु- पर्यन्त (सन् १९३३ तक) गांधीजीके मित्र रहे और टॉलस्टॉय फार्मकी स्थापना और संचालनसे लेकर चम्पारन सत्याग्रह तक, गांधीजीके सभी कामों में बढ़ी दिलचस्पी लेते रहे । कविवर राजचन्द्रसे गांधीजीको उन्होंने ही मिलाया था। देखिए खण्ड ९ और आत्मकथा, भाग १, अध्याय १३ और १४; भाग २, अध्याय १

और भाग ५, अध्याय १६ ।

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