२७४. फीनिक्सका न्यासपत्र' पक्ष एकके मोहनदास करमचन्द गांधी, फीनिक्स, नेटाल प्रान्त, दक्षिण आफ्रिका और पक्ष दोके उमर हाजी आमद झवेरी, व्यापारी, डर्बन, पारसी रुस्तमजी जीवणजी घोरखोद्, व्यापारी, डर्बन, हरमान कैलेनबैंक, वास्तुकार और कृषक, जोहानिसबर्ग, लुई वाल्टर रिच, बैरिस्टर, जोहानिसबर्ग और प्राणजीवनदास जगजीवन मेहता, वैरि- स्टर, रंगून, के द्वारा तथा उनके बीच प्रतिपन्न -- यह अनुबन्धपत्र साक्षी है कि १. उक्त पक्ष एक [ मोहनदास करमचन्द गांधी ] पूर्वोक्त फीनिक्समें जमीनके एक टुकड़ेका मालिक है, जिसका विस्तार एक सौ एकड़ है और जिसमें कुछ मकान और मशीनें हैं। - इन मकानों और मशीनोंका विवरण अधिक तफसीलके साथ संलग्न अनुसूची "क " में दिया गया है । " २. उक्त पक्ष एक 'इंडियन ओपिनियन', नामक एक साप्ताहिक पत्रका, जो उक्त फीनिक्स में मुद्रित तथा प्रकाशित होता है, तथा वहाँ अवस्थित इंटरनेशनल प्रिंटिंग प्रेसका एकमात्र स्वामी है । ३. उक्त पक्ष एकन इसके बाद उल्लिखित उद्देश्योंकी पूर्तिके लिए पूर्वोक्त फीनि- क्समें सन् १९०४ में एक प्रतिष्ठानकी संस्थापना की थी । ४. प्रस्तुत दस्तावेजपर हस्ताक्षर करनेकी तिथिपर पूर्वोक्त फीनिक्सके प्रतिष्ठान में कुछ व्यक्ति निवास कर रहे हैं या उससे सम्बद्ध हैं और उक्त समाचारपत्र, 'इंडियन ओपिनियन 'के छापेखाने में जुदा-जुदा हैसियतोंसे काममें लगे हैं या उसीसे सम्बन्धित १. न्यासपत्रका पहला उल्लेख " पत्र : ए० ई० छोटाभाईको पृष्ठ ६० में मिलता है । हरिलाल गांधीके दक्षिण आफ्रिका छोड़कर भारत चले आनेके पहले गांधीजीने उनके साथ उसकी चर्चा की थी इसके बाद मगनलाल और छगनलाल गांधी के नाम लिखे पत्रोंमें उसका उल्लेख कई बार हुआ मिलता है; देखिए पृष्ठ १२४ और १२८ । उसका एक प्रारम्भिक मसविदा तैयार हो चुका था और यह 'निवासियों 'के बीच घुमाया भी जा रहा था। छगनलालके नाम लिखे, १ अगस्त, १९११ के पत्रमें गांधीजीको हम यह कहते हुए देखते हैं कि 'फीनिक्स-विधान' को शायद बदलना पड़ेगा। गांधीजीके कागजोंमें प्राप्त न्यासपत्रके टाइप किये हुए मसविंदे (एस० एन० ५५८४ और ५५९२) पर साक्षियोंके रूपमें जॉन एच० कोर्डिज, मार्क हेनरी हॉथोर्न और जगन्नाथ नारायण दांडेकरके हस्ताक्षर हैं। कोडिजने उसपर अपनी सही अडयार (मद्रास) में १२ नवम्बर, १९११ को की थी और शायद उसे एक व्याख्यापत्र ( कवरिंग लेटर ) के साथ वापस किया था । देखिए परिशिष्ट १० । इस मसविदे और न्यासपत्रके ऊपर दिये जा रहे पाठमें जहाँ कहीं महत्वपूर्ण भेद दिखाई दिया है, वहाँ उसे पाद-टिप्पणियोंमें बताया गया है । २. उमर हाजी आमद झवेरी; डर्बनके प्रमुख व्यापारी; १९०७ में नेटालकी भारतीय कांग्रेसके संयुक्त मन्त्री; देखिए खण्ड ६, पृष्ठ ४७४-७५ और ४७५-८१ । ३. " तथा. प्रेसका " - यह अंश मसविदेमें नहीं है । . ४ और ५. “ उससे सम्बद्ध " और " उसीसे सम्बन्धित "- ये शब्द इस पाठ में नये हैं; आशय निष्पादकों (एक्जीक्यूटर्स) और न्यासियोंसे है, जिनमें से कोई भी उस समय फीनिक्समें नहीं रहता था । Gandhi Heritage Portal
पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 11.pdf/३५४
दिखावट