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३. तार : जोहानिसबर्ग कार्यालयको

केप टाउन
अप्रैल ३,१९११

गांधी
जोहानिसबर्ग

कल खासी सभा हुई। प्रजातिगत प्रतिबन्ध न हटवा सकनेकी सूरतमें सत्याग्रहका पूर्व संकेत देते हुए ट्रान्सवालका समर्थन और रिचके प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए सात प्रस्ताव पास रिच आज ही पुत्र-सहित रवाना। उनके नाश्तेका प्रबन्ध

गांधी

मूल अंग्रेजी तारकी प्रति (एस० एन० ५४०६) की फोटो-नकल से|

१. और ३. केपके भारतीयोंकी इस सभाने संघ-सरकारके प्रवासी प्रतिबन्धक विधेयकमें, अन्य बातोंके अलावा, निम्नलिखित माँगें भी की थीं: (१) अधिवासी एशियाश्योंके बच्चों और गोरोंके अधिवासके सबूतकी बात न्यायालयोंपर छोड़ दी जाये; (२) प्रवासी अधिकारीके निर्णय न्यायालयोंके अधिकार-क्षेत्रमें रहे; (३) केपकी वर्तमान शैक्षणिक परीक्षा, जो अपेक्षाकृत आसान है, बरकरार रखी जाये; और (४) शिक्षित एशियाई प्रवासियोंको संघके किसी भी प्रान्तमें प्रवेश और निवासकी स्वतंत्रता हो। सभाने यह विकल्प भी प्रस्तुत किया था कि अगर यह सब नहीं हो सके तो केप और नेटालके कानूनोंको अपने वर्तमान रूपमें रहने दिया जाये और ट्रान्सवाल प्रवासी कानूनमें संशोधन कर दिया जाये । देखिए इंडियन ओपिनियन, ४-४-१९११ ।

२. एल० डब्ल्यू० रिच, थिऑसफिस्ट और जोहानिसबर्गकी एक व्यापारी पेढ़ीके मैनेजर; बादमें गांधीजीके कानून-मुन्शी (आर्टिकल्ड क्लार्क) हो गये; लन्दनमें वैरिस्टरीकी परीक्षा पास की (देखिए खण्ड ६, पृष्ठ ७१ और ९२); दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समितिके मन्त्री (खण्ड ६, पृष्ठ २४३)। देखिए आत्मकथा,भाग ४, अध्याय ४ और १३ और दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास, परिच्छेद १४ और २३ ।दक्षिण आफ्रिकाके भारतीयोंके सम्बन्धमें लिखी उनकी पुस्तिकाके लिए देखिए, खण्ड ७, परिशिष्ट ८ ।