३३४ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय अपने कष्टमोचनका उपाय स्वयं ही करना होगा। श्री गोखले और श्री शाइनर -जैसे व्यक्ति तो समस्या के हलकी दिशा में केवल संकेत ही कर सकते हैं और हमारा रास्ता आसान बना सकते हैं। हम जिसके योग्य नहीं हैं, ऐसी कोई वस्तु हमें नहीं मिल सकती। और हमें अपने पिछले कार्योंका फल भी समय आनेपर ही मिल पायेगा । (जोरोंकी तालियाँ) । [ अंग्रेजीसे ] इंडियन ओपिनियन, २-११-१९१२ २८६. भाषण : किम्बर्लेको सभामें " [' अक्तूबर २५, १९१२] श्री गांधीने कहा कि यह एक पवित्र और स्मरणीय अवसर है। उन्होंने श्री गोखलेकी विनयशीलता, स्वयंको खपा देनेके गुण, अतिशय भारत-प्रेम और उस भारत- १. विलियम फिलिप झाइनर (१८५७-१९१९); प्रसिद्ध लेखिका ऑलिव झाइनरके भाई; गांधीजीका ध्यान उनकी न्याय-भावना और भारतीयोंके प्रति मैत्रीके भावकी ओर गया था; रोडसके दूसरे मन्त्रिमण्डलके सदस्य, १८८३; बैरिस्टर और एक समयके वकील-संघके नेता; ये दो बार अटर्नी जनरल रहे; केप कालोनीके प्रधानमन्त्री, १८९८-१९००; दक्षिण आफ्रिकाके इतिहासकार एरिक वाकरने उन्हें संघवादका प्रमुख समर्थक बताया है; उन्होंने १९०९ में दक्षिण आफ्रिकी [ संघ] अधिनियमके मसविदेके खण्ड ३५ का, जो केपके रंगदार लोगोंको मताधिकार से वंचित करता था, तीव्र विरोध किया; उनकी ओरसे इंग्लैंड गये और लॉर्ड सभामें दक्षिण आफ्रिकाके एकीकरणके विधेयकके स्वीकृत हो जानेपर भी प्रयत्न करते रहे; देखिए खण्ड ९, पृष्ठ २७२, ३३८ और ३६४ । मार्च १९११ में गांधीजीने संघीय प्रवासी विधेयक ( यूनियन इमिग्रेशन ऐक्ट ) के सम्बन्धमें उनसे सलाह करनेका विचार किया; देखिए खण्ड १०, पृष्ठ ४५९ और ४७१ । इंडियन ओपिनियनके स्वर्णक (१९०६-१४) में उनके भारतीय समाजके प्रति न्यायके लिए सतत् संघर्षका उल्लेख है। ये १९१४ में इंग्लेंडमें दक्षिण आफ्रिकी संघके उच्चायुक्त नियुक्त किये गये । देखिए दक्षिण आफ्रिका के सत्याग्रहका इतिहास, अध्याय ५ भी । २. श्री गो० कृ० गोखछेके सम्मानार्थकी गई यह सभा टाउन हॉलमें हुई थी। सभा भवन भारतीय समाजके सदस्योंसे ठसाठस भरा था और जहाँ तहाँ यूरोपीय सज्जन भी बड़ी संख्या में बैठे हुए थे । सभाकी अध्यक्षता मेयरने की । उनके स्वागत भाषणके बाद श्री गोखलेको भारतीय समाजकी ओरसे एक मानपत्र भेंट किया गया । दक्षिण आफ्रिकामें दिये गये अपने इस पहले सार्वजनिक भाषण में श्री गोखळेने नेटालमें गिरमिट प्रथाके बन्दकर दिये जानेपर सन्तोष प्रकट किया। उन्होंने दक्षिण आफ्रिकाके भारतीयोंके प्रश्नकी संक्षेपमें चर्चाकी और कहा कि वे कोई मत प्रकट करनेसे पूर्व इस प्रश्नको सभी दृष्टियोंसे समझ लेना चाहते हैं । इस घटनाकी स्मृति अवश्य ही गांधीजीकी प्रिय स्मृति रही होगी । तभी तो कई वर्ष बाद यरवदा जेलमें किसी टीपके बिना ही उस अवसरपर श्री गोखलेने जो भाषण दिया वे उसका स्मरण इस प्रकार करते हैं: "वह संक्षिप्त, सुलझा हुआ और दृढ़ताके साथ-साथ शिष्टतापूर्ण था । उसे सुनकर भारतीय प्रसन्न और यूरोपीय मुग्ध हुए।" गांधीजी आगे कहते हैं, "मैंने सीनेटके सदस्य डब्ल्यू० पी० थाइनरसे अध्यक्षका पद ग्रहण करने की प्रार्थना की. और उन्होंने कृपा करके उसे स्वीकार कर लिया ।" देखिए दक्षिण आफ्रिका सत्याग्रहका इतिहास, अध्याय ३६ । यद्यपि लाइनर उस अवसरपर बोले थे और सभाके प्रमुख वक्ता थे, किन्तु अध्यक्षता मेयरने की थी । Gandhi Heritage Portal
पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 11.pdf/३७०
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