२९४. भाषण : गोखलेके सम्मानमें मैरित्सबर्गके जलपान-आयोजनमें ' [ नवम्बर ८, १९१२] श्री गांधीने " हमारे यूरोपीय मित्रों" के प्रति मंगल कामनाका प्रस्ताव रखते हुए कहा कि मैं एक भारतीयके रूपमें, भारतीयोंकी ओरसे बोल रहा हूँ । यदि मैं कहूँ कि आप यूरोपीयोंने हमारे अतिथि भारतके एक प्रख्यात पुत्रके स्वागतमें सहयोग देकर हमें बहुत आभारी बनाया है तो यह भारतीयोंके मनकी बात होगी। आप सबने बड़ी सद्भावनाके साथ इसमें हमारा हाथ बँटाया है। भारतीय अब संघ-निर्माणकी प्रक्रियासे गुजर रहे हैं और में चाहता हूँ कि इस प्रक्रियाके दौरान यूरोपीय समाज सर पर्सी फिट्जपैट्रिक और श्री मैरीमैनके उस परामर्शको याद रखे जो उन्होंने संघ- निर्माणके पहले दिया था । मेरा अनुरोध है कि यूरोपीयोंको यदि कहीं कोई चीज खटके तो उसपर वे " सम्मेलनकी भावना "से विचार करें। और हमारे दिमागमें इस समय जो एक बड़ी समस्या है उसपर हमें “गोखलेकी दृष्टिसे" विचार करना चाहिए । ( बहुत खूब ! बहुत खूब ! ) मैं समझता हूँ, यदि हम लोगोंने ऐसा किया तो आपका और हमारा आज एक ही आयोजनमें आकर साथ-साथ बैठना व्यर्थ नहीं जायेगा । श्री गोखले जहाँ भी गये हैं, वहाँ शान्तिको भावना उत्पन्न हुई है । आशा है, उनके चले जानेके बाद भी शान्तिकी यह भावना बरकरार रहेगी। इतना ही नहीं, वह और गहरी होती जायेगी; क्योंकि इस बातका कोई कारण नजर ही नहीं आता कि हम और आप एक ही ध्वजकी छायामें शान्ति और प्रेमसे मिलकर न रह सकें । ( हर्ष ध्वनि ।) [ अंग्रेजीसे ] इंटरनेशनल प्रिंटिंग प्रेस, फीनिक्स द्वारा प्रकाशित 'ऑनरेबल मि० जी० के० गोखलेज विज़िट टु साउथ आफ्रिक, १९१२' से । १. इस जलपानका आयोजन मैरित्सबर्ग स्वागत समितिने किया था। मैरित्सवर्गके प्रशासक और गोखलेने भी उसमें भाषण किया था । Gandhi Heritage Porta
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