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पत्र : एल० डब्ल्यू० रिचको


अधिकारोंकी रक्षा नहीं हो सकेगी। कारण, लम्बी अवधिके पट्टे बहुत कम लोगोंके पास हैं। फलस्वरूप मासिक किराया देकर रहनेवाले पट्टेदार तो बरबाद हो जायेंगे। वकीलोंकी राय तुम्हें भेजी जा चुकी है; उससे प्रकट होता है कि यदि कानून अमलमें लाया गया तो ट्रान्सवालके खनिज क्षेत्रोंमें रहनेवाली सारी भारतीय आबादी वहाँसे हटा दी जायेगी। इस योजनामें जोहानिसबर्ग भी शामिल है और सबसे अधिक भारतीय जोहानिसबर्गमें ही रहते हैं। मेरा विश्वास है कि जब साम्राज्य-सरकारने इस कानूनो अपनी मंजूरी दी थी तब उसने यह कभी न सोचा होगा कि उसके इतने अनिष्टकर और विनाशकारी परिणाम होंगे।

[अंग्रेजीसे]

सी० डी०, ६०८७ और 'इंडियन ओपिनियन' २७-४-१९११ से भी। ?

८. पत्र: एल० डब्ल्यू० रिचको

[केप टाउन]
बुधवार [अप्रैल ५, १९११]


प्रिय रिच,

कल मैं विरोधी-दलके सचेतक [व्हिप] डॉ० हेवार्ट और बिसेंट बेरीसे मिला । जे० डब्ल्यू जैगरसे[१] आज तीसरे पहर मिलूंगा। मैं यथा सम्भव उन सबसे मिल लेना चाहता हूँ जिनसे मैं और जो मुझसे मिलना चाहते हैं। जिन सदस्योंसे मैं कल मिला उनसे अलेक्जेंडरने[२] मेरा परिचय कराया। उन्होंने अलेक्जेंडरका समर्थन करनेका वचन दिया है। उन्हें स्वयं बहुत अवकाश नहीं था; किन्तु उन्होंने माना कि मुद्दा बहुत सीधा सादा है। यह करिश्मा जनरल बोथा द्वारा लॉर्ड क्रू को भेजे गये खरीतेका[३] है। मुझे विश्वास है कि यदि विधेयक विचारके लिए आया भी तो हम जिस संशोधनकी[४] मांग कर रहे हैं उसके बिना जनरल स्मट्स उसे प्रस्तुत करनेका साहस न करेंगे। मेरा खयाल है, उन्होंने नया मुद्दा उठानेका अपना आरोप तो छोड़ ही दिया था।[५]

  1. १. संघ विधान-सभाके सदस्य ।
  2. २. मॉरिस अलेक्जेंडर; संसदके यहूदी सदस्य; आफ्रिकावासी भारतीयोंके पक्षसे उनको बड़ी हमदर्दी थी और जहाँतक संघ-सरकारके प्रवासी प्रतिवन्धक विधेयकका असर भारतीयोंपर होता था, उन्होंने उसकी कई धाराओंका बढ़ा विरोध किया था ।
  3. ३. दिसम्बर २०, १९१० का खरीता; देखिए खण्ड १०, पृष्ठ ५२१ ।
  4. ४. देखिए खण्ड १०, पृष्ठ ४८१-८२ ।
  5. ५. यहाँ स्पष्टत: गांधीजीके कहनेका तात्पर्य यह है कि " मेरा खयाल है, स्मट्सने भारतीयोंके विरुद्ध लगाये गये अपने इस आरोपको वापस ले लिया है कि वे नये मुद्दे उठा रहे हैं ।" ट्रान्सवाल लीडरके नये सम्पादकने भी इस बातसे सहमति प्रकट करते हुए लिखा था कि तटवर्ती प्रान्तोंमें प्रवासी विधेयकमें संशोधन करनेकी माँग एक नई माँग है। पोलकने उक्त सम्पादकको यह बताते हुए पत्र लिखा कि " शिक्षित