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९. पत्र: एल० डब्ल्यू० रिचको

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बुधवार [अप्रैल ५, १९११]


प्रिय रिच,

तुम्हारा तार[१] मिला। मैं रवाना होने में उतावली न करूंगा। मैंने एक छोटा-सा नोट[२] लेनको[३] लिखा था; उसमें सूचित किया था कि मैं दूसरे सदस्योंसे मिलने के लिए कुछ समय तक रुक रहा हूँ। उन्होंने उत्तरमें मुझे एक नोट लिख भेजा कि मैं उनसे तुरन्त मिल लूं। मैं उनके पास गया तो उन्होंने मुझे जे० सी० एस० का यह सन्देश दिया कि मैं अपने दोनों प्रस्तावोंको लिख डालूं। उन्होंने यह भी कहा कि स्मट्स मुझे खाली हाथ नहीं जाने देना चाहते और बताया कि मामला अवश्य ही इस अधिवेशनमें तय हो जाना चाहिए। हमारे मित्र इससे जो आशा बाँध सकें, सो बाँधे ।

दोपहर बादका पूरा समय सदस्योंसे मिलने-जुलनेमें लगाया। ज्यादा कल। मुझे अपने प्रस्ताव कल सबेरे १०-३० बजेके बाद दे देने हैं।

हृदयसे तुम्हारा,
मो० क० गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५४१७) की फोटो-नकलसे।

१०. तार : जोहानिसबर्ग कार्यालयको

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अप्रैल ६, १९११

गांधी
जोहानिसबर्ग


प्रस्तावका[४] मसविदा बनाना तय। किसी भी बातको एकदम पक्का न मानें।

गांधी

मूल अंग्रेजी तारकी प्रति (एस० एन० ५४२१) की फोटो-नकलसे।

  1. १. अप्रैल ५ का तार, जो इस प्रकार था: "यहाँ लोगोंकी यह तीव्र इच्छा कि अगर इस अधिवेशनमें विधेयकके पेश होनेकी तनिक भी सम्भावना हो तो आप वहीं रहें ।" (एस० एन० ५४१२)
  2. २. यह उपलब्ध नहीं है।
  3. ३. जनरल स्मट्सके निजी सचिव ।
  4. ४. लेनने गांधीजीसे ये प्रस्ताव लिखित रूपमें तैयार कर लेनेको कहा था; देखिए पिछला शीर्षक ।