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१४ तार : जोहानिसबर्ग कार्यालयको

गांधी
जोहानिसबर्ग

केप टाउन
अप्रैल ७, १९११


मेरा पत्र[१] देखिए। सचिवने ट्रान्सवाल कानूनमें १९०७ के एशियाई अधिनियमको रद करने नाबालिगोंकी रक्षा और शिक्षित प्रवासियोंको १९०८ के कानून ३६[२] के अमलसे मुक्त करने के संशोधनको सन्तोषजनक मान लिया है। काछलिया[३] और दूसरोंसे मिलें। स्वीकृतिका तार अगले हफ्तेसे पहले रवाना नहीं हो रहा हूँ।

गांधी

मूल अंग्रेजी तारको प्रति (एस० एन० ५४३१) की फोटो-नकलसे।

  1. देखिए “पत्रःई०एफ० सी० लेनको", पृष्ठ ९-१०।
  2. ट्रान्सवाल पशियाई पंजीयन संशोधन अधिनियम, जो १९०८ के गांधी-स्मटस समझौतेके परिणाम- स्वरूप पास किया गया था। किन्तु भारतीयोंने अपना विरोध भी जारी रखा, क्योंकि समझौतेके अनुसार तय की गई बातोंका उनके लेखे जो अर्थ था, उस रूपमें उन्हें कानून में शामिल नहीं किया गया था ।
  3. अहमद मुहम्मद काछलिया; "अंग्रेजीका कामचलाऊ शान" होनेके कारण प्रारम्भमें दुभाषियेका काम करते थे; तथा फेरीदारी और व्यापार भी करते थे; सन् १९०७ के जुलाई महीने में एशियाई पंजीयन अधिनियमके विरुद्ध भारतीयों द्वारा आयोजित सभामें इनका पहला सार्वजनिक भाषण हुआ; सितम्बर १९०८ में ईसप मियाँके अवकाश प्राप्त करनेपर ब्रिटिश भारतीय संघके अध्यक्ष हुए; जेलका विकल्प दिये बिना सत्याग्रही व्यापारियों के मालको नीलाम करने अथवा उनपर जुर्माना ठोंक देनेकी सरकारकी नीतिको ध्यानमें रखते हुए अपना सारा माल अपने महाजनोंके सुपुर्द करके उन्होंने “समाजकी खातिर अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया"; " अन्ततक समाजकी सेवा करते हुए सन् १९०८ में शरीर त्याग किया । देखिए खण्ड ९, पृष्ठ १५, ४१ तथा १५९ और दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास, अध्याय १६ ।