५४८ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय (१) यदि किसी व्यक्तिपर इस कानून अथवा किसी विनियमका उल्लंघन करके या किसी प्रान्त में प्रवेश करने और उसके सिलसिले में मुकदमा चलाया जाये तो यह सिद्ध करनेका दायित्व कि उसने ऐसा कोई अपराध नहीं किया है, उस व्यक्तिपर रहेगा, जिसपर आरोप लगाया गया हो । ( खण्ड २३ ) (१) इस कानूनमें कोई विपरीत विधान हो तब भी मन्त्री अपने विवेकानुसार संघ या किसी प्रान्त- विशेष में किसी भी निषिद्ध प्रवासीको अनुमतिपत्रमें निवासकी अवधि अथवा किसी अन्य बातसे सम्बन्धित शर्तें निर्धारित करके प्रवेश करने और रहनेका अस्थायी अनुमतिपत्र दे सकता है । (२) यदि कोई व्यक्ति संघ या किसी प्रान्तमें वैध ढंगसे रह रहा हो और वह फिर लौट आनेके इरादे से वहाँसे बाहर जाना चाहता हो किन्तु उसे किसी कारण से ऐसी कोई आशंका हो कि वापस आने- पर वह यह सिद्ध नहीं कर पायेगा कि वह निषिद्ध प्रवासी नहीं है, तो मन्त्री अपने विवेकानुसार उसे भी अनुमतिपत्र दे सकता है । इस उपखण्डमें उल्लिखित अनुमतिपत्र, जिस व्यक्तिका नाम उस अनुमतिपत्रमें अंकित रहेगा उसे अनुमतिपत्र में ही निर्धारित अवधिके भीतर संघ या प्रान्त-विशेषमे ( प्रसंगानुकूल ) लौट आनेका स्पष्ट आकार प्रदान करेगा । किन्तु, अनुमति जारी करनेके पूर्व मन्त्री कथित व्यक्ति के नाम-गामके सम्बन्ध में ऐसे प्रमाण और शिनाख्त के ऐसे साधन पेश करनेकी माँग करेगा जो विनियम द्वारा निर्धारित कर दिये गये हों। (खण्ड २५ ) (१) सन् १९०८ के कानून ३६ में यदि कोई विपरीत विधान हो तब भी किसी ऐसे व्यक्तिको, जिसे इस अधिनियम के खण्ड चारके अनुच्छेद (क) में वर्णित इमला परीक्षा पास करनेके बाद संघ में प्रवेश करने की अनुमति दी गई हो, उक्त ट्रान्सवाल कानूनकी धाराओंके अन्तर्गत पंजीयन करानेके लिए बाध्य नहीं समझा जायेगा । (२) याद किसी ऐसे व्यक्तिको, जो ऑरेंज फ्री स्टेट विधि-पुस्तिकाके अध्याय ३३ में वर्णित लोगोंकी श्रेणीमें आता हो, उक्त इमला इम्तहान पास करनेके कारण संघमें प्रवेश करनेकी अनुमति दी गई हो या इस अधिनियम खण्ड सातके इमला अनुसार इम्तहान पास करनेके कारण किसी अन्य प्रान्तसे ऑरेंज फ्री स्टेटमें प्रवेश करने की अनुमति दी गई हो तो वह हर दृष्टिले अध्याय ३३ के अनुच्छेद सात और आठको व्यवस्थाओंसे बँधा रहेगा । ( खण्ड २८ ) प्रान्तोंके प्रवासी कानून रद किये जाते हैं; और साथ ही उस अंशको छोड़कर, जो ट्रान्सवालमें वैध रूपसे बसे नाबालिगोंके पंजीयनसे सम्बन्धित है, १९०७ का ट्रान्सवास एशियाई कानून संशोधन अधिनियम २ भी सम्पूर्णतः रद किया जाता है । ऑरेंज फ्री स्टेटके कानून नीचे ऑरेंज फ्री स्टेट संविधानके अध्याय ३३ के खण्ड ७ और ८ दिये जा रहे हैं : ७. पिछले अनुच्छेदोंमें उल्लिखित (अर्थात्, अरब, चीनी, कुली या रंगदार एशियाई ) किसी भी व्यक्ति या उसके वैध उत्तराधिकारीको इस राज्य में किसी भी परिस्थितिमें अपने नामपर दर्ज कोई अचल सम्पत्ति रखनेका अधिकार नहीं है । ८. पिछले अनुच्छेदों में उल्लिखित किसी भी रंगदार व्यक्तिको किसी भी परिस्थितिमें राज्याध्यक्ष इस राज्यमें प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूपमें कोई व्यापारिक कारोबार चलाने या खेती-बाड़ी करनेके उद्देश्यसे बनेकी अनुमति नहीं देगा। और इस राज्यमें बसने की अनुमति प्राप्त करनेके पूर्व प्रत्येक प्रार्थीको उस लेंड- स्टके सामने, जिसे वह अपना प्रार्थनापत्र देगा, शपथपूर्वक एक घोषणापत्रपर हस्ताक्षर करना होगा । उसमें वह घोषणा करेगा कि वह प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष किसी भी तरह इस राज्यमें कोई व्यापारिक धन्धा या खेती-बाड़ी नहीं करेगा । और यदि कोई भी रंगदार व्यक्ति उस व्यवसाय या व्यापारके अलावा कोई और धन्धा करेगा जिसके लिए उसने इस देशमें बसनेकी अनुमति ली थी तो वह निम्नलिखित अनुच्छेद में Gandhi Heritage Portal
पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 11.pdf/५८६
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