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पत्र : जनरल स्मट्सको


चौपट हो गये हैं। बाहर भी कुछ लोगोंकी ऐसी स्थिति ही है। वे गिरफ्तारीके लिए आगे न आये या गिरफ्तारीसे बचें तो भी उनका कहीं आना-जाना तो रुका ही रहेगा। उदाहरणके लिए, यदि वे नेटाल जाते है या वहाँसे लौटकर आते हैं तो अवश्य सीमापर रोके-टोके जायेंगे। उनमें जो व्यापारी हैं, वे व्यापार नहीं कर सकते; क्योंकि जबतक संघर्ष जारी है तबतक वे अपने पंजीयन-प्रमाणपत्र प्रस्तुत नहीं करेंगे। यदि हम सक्रिय संघर्ष जारी रखते तो मैं इन सब अड़चनोंके सम्बन्धमें कुछ न कहता। किन्तु, अगर फिर सैनिक भाषाका उपयोग करूँ तो, हमारी वार्ता जारी रखनेका अर्थ है, एक साल या इससे अधिक अर्थात् जबतक संसदका अधिवेशन फिर न हो तबतकके लिए युद्ध-विराम। मैं नहीं जानता कि यह कैसे सधेगा। आपको ज्ञात है, संघर्ष में हमारा बड़ा खर्च हुआ है और परिवारों के पालन-पोषण आदिका हमारा मासिक व्यय भी स्पष्ट ही बहुत अधिक है। यदि हम फिर चन्दा माँगना आरम्भ करें तो हमें यहाँ, भारतमें और इंग्लैंड में आन्दोलन करना पड़ेगा। फिर, नेटालके लोगोंका भी सब-कुछ उजड़ गया है। क्या हम उन्हें महीनों तक दुविधाको अवस्थामें रख सकते है ?

मैं सचमुच आपकी सहायता करना चाहता हूँ; किन्तु समझमें नहीं आता, सत्याग्रहियोंकी ओरसे चुप बैठ रहनेका वचन मैं कैसे दे दूं। आप, साम्राज्य सरकार और मैं सभी आन्दोलनसे बचना चाहते हैं। किन्तु मुझे लगता है कि यदि यह मामला चालू सत्र में समाप्त नहीं किया जाता तो वर्तमान स्थितियोंमें संघर्षसे बचना असम्भव ही हो जायेगा।

दूसरी ओर यदि मैं आपकी कठिनाईको न समझे, विशेषत: इतने लम्बे अधिवेशनके बिलकुल अन्तमें तो यह ओछापन होगा; आपको अनेक कठिन प्रश्न तय करने हैं किन्तु भारतीय तो इस समय केवल एक ही प्रश्नकी बात सोचते हैं। फिर भी मेरे सुझाये गये वैकल्पिक समाधानके सम्बन्धमें आपके कानूनी सलाहकारोंको जितनी कठिनाई दिखाई देती है, मेरी समझमें उतनी है नहीं। यह देखते हुए कि आप किसी-न-किसी दिन सामान्य विधेयकको पास कराना चाहते हैं, कोई कारण नहीं है कि ट्रान्सवाल प्रान्त पहलेसे ही उस शिक्षा-परीक्षाके अनुसार न चलने लगे, जो उस विधेयकके अन्तर्गत निश्चित की जानी है । वह ऐसे एक भी गोरेको, जिसे आप ट्रान लिमें रखना चाहें, बाहर न रखेगा और प्रतिवर्ष छ: उच्च शिक्षा प्राप्त भारतीयोंके अतिरिक्त किसी भारतीयको न आने देगा। जहाँतक मैं विरोधी-दलके नेताओंकी भावनाओंका अन्दाज लगा सका हूँ, वे कोई विरोध न करेंगे। सभी समझ जायेंगे कि समाधान अस्थायी है और उसका हेतु ट्रान्सवालमें झगड़ेको शान्त करना है। फी स्टेटके सदस्योंको आपके सामान्य विधेयकपर विचार करने के लिए पर्याप्त अवकाश मिलेगा और अगले अधिवेशनमें सब नये सिरेसे बात आरम्भ करेंगे। यद्यपि आप बहुत-सी परेशानियोंमें बुरी तरह उलझे हुए है, तथापि मैं आग्रह करूंगा कि आप मेरे देशवासियों के मार्गकी जबरदस्त कठिनाइयोंको हटाकर उन्हें राज्यारोहण के उस उत्सव में भाग लेने योग्य बनायें, जो पास आ गया है ।

चूंकि यह पत्र बहुत व्यक्तिगत है और उस बातचीतके आधारपर लिखा गया है जिसे आप गोपनीय रखना चाहते है। इसलिए आपकी अनुमतिके बिना मैं इसे प्रकाशित न करूँगा।

आपका विश्वस्त,