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सम्पूर्ण गांधी वाङमय


[पुनश्चः]

श्रीमती सोढाकी अपील ब्लूमफॉन्टीनमें शनिवारको सुनी जायेगी। इसलिए अच्छा हो यदि आप इसी समय (अटर्नी जनरल) को यह निर्देश दे दें कि अपील हार जाने पर उन्हें गिरफ्तार न किया जाये।

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ५४७७) की फोटो-नकलसे।

३७. जनरल स्मट्ससे मुलाकातका सार'[१]

[केप टाउन]
अप्रैल १९, १९११

असंशोधित


इसका कोई अंश प्रकाशित न किया जाये।
देखनेके बाद तिजोरीमें रख दें।

जे० सी० एस० और जी० के बीच १९-४-१९११ को ११-३०[२] बजे हुई भेंटका सार जनरलने असाधारण सौहार्द्र प्रकट किया। स्मट्स और गांधी ऐसे मित्र है कि जिन्होंने आपसमें हाथ मिलाना भी छोड़ दिया है। किन्तु इस भेंटमें दोनोंने तपाकसे हाथ मिलाया।

अच्छा, गांधी, मुझे बहुत दुःख है। आपको बहुत विलम्ब हुआ है, किन्तु मैं क्या कर सकता हूँ? आप तो खुद ही केप टाउनमें डटे रहना चाहते हैं", जी० एस० ने यह कहते हुए अपनी कुर्सीके पास एक दूसरी कुर्सी खींचकर जी० को बैठने के लिए कहा।

एक वकीलके नाते आप यह तो समझते होंगे कि आपके वैकल्पिक सुझावको[३] अमलमें लाना कठिन है।" जनरल स्मट्स गांधीजीकी ओरसे गर्दन घुमाते हैं और अपनी टोकरीमें कुछ ढूंढ़ते जान पड़ते हैं। वे कहना जारी रखते हैं : “गांधी, मेरे भाई! मुझे तुम्हारी परेशानीका दुःख है। तुम जानते हो, मैं शान्ति चाहता हूँ।" (मेरा ख्याल है, वे यह सब कहते हुए मन-ही-मन हँस रहे थे।) अब गांधीकी ओर देखते हुए वे कहते है “किन्तु मेरे सलाहकारोंका खयाल है कि आपके सुझावपर अमल नहीं किया जा सकता। हम गोरोंका अन्य प्रान्तोंमें प्रवेश कैसे बन्द कर सकते हैं। संसद ऐसे विधेयकको पास न करेगी, इसलिए मैं अपने विधेयकको, जिसे मैं पसन्द करता हूँ और उचित समझता हूँ, पास कराना चाहता हूँ। मैं उसे इस अधिवेशनमें पास करवानेका प्रयत्न करूँगा; किन्तु मैं इसमें असफल भी हो सकता हूँ।[४] सभी सदस्य जल्दी जाना चाहते हैं।

  1. मूल अंग्रेजी प्रतिके कटे-फटे होनेके कारण एक-आध शब्दका अनुमान लगाना पड़ा है ।
  2. यहाँ मूलमें रात्रिका समय लिखा है जो ठीक नहीं है; देखिए पिछला शीर्षक ।
  3. देखिए पत्र: ई० एफ० सी०लेनको”, पृष्ठ ९-१० ।
  4. स्मट्सकी कठिनाइयों के बारेमें उपनिवेश-मन्त्रीको लिखे दक्षिण आफ्रिकाके गवर्नर-जनरलके पत्र तथा उसके उत्तरके लिए देखिए परिशिष्ट ४ |