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सम्पूर्ण गांधी वाङमय


स्मट्स : यह फार्म किसका है ?

गांधी: यह श्री कैलेनबैकका[१] है। वे जर्मन है ।


स्मट्स : (हँसते हुए) अच्छा वे ही पुराने कैलेनबैक ! वे तो आपके प्रशंसक हैं, ठीक है न?।

गांधी : यह तो मैं नहीं जानता लेकिन; हम निश्चय ही घनिष्ठ मित्र है।

स्मट्स : मै किसी दिन आकर आपका काम अवश्य देखूगा; कहाँ है वह ?

गांधी: लॉलीके पास ।

स्मट्स : मैं समझ गया; वेरीनिगिंग-लाइनपर ! स्टेशनसे कितनी दूर है ?

गांधी : लगभग २० मिनटका रास्ता है। ज़रूर आइए। हमें बड़ी प्रसन्नता होगी।

स्मट्स : हाँ, मैं किसी दिन अवश्य आऊँगा। यह कहकर वे उन्हें बिदा करनेके लिए उठ खड़े हुए।

गांधी भी खड़े हो गये और बोले : “आप कहते हैं कि आप ट्रान्सवाल प्रवासी अधिनियममें संशोधन नहीं कर सकते। किन्तु मुझे इसमें कोई कठिनाई दिखाई नहीं देती।

स्मट्स : कठिनाई है। जबतक आप मेरा सुझाव नहीं मानते, तबतक गोरे संशोधन नहीं करने देंगे।

गांधी: और सुझाव है।

स्मट्स : गवर्नरको अलग-अलग लोगोंके लिए अलग-अलग परीक्षा रखनेके विनियम बनानेका अधिकार देना। विनियमोंमें उल्लेख केवल भारतीयोंका होना चाहिए। मैं जानता हूँ, इसे आप पसन्द न करेंगे। किन्तु आप सारे मामलेपर फिर विचार करें और मुझे बतायें कि आपका खयाल क्या है। आप जानते हैं, मैं आपकी सहायता करना चाहता हूँ। यदि किन्हीं इक्के-दुक्के लोगोंकी कठिनाई हो तो आप मेरे पास हमेशा आ सकते है।

गांधी : मैं सारे मामलेपर विचार करूँगा, किन्तु यदि आप शान्ति चाहते हैं तो फिर आप श्रीमती सोढाको कष्ट क्यों देना चाहते हैं?

स्मट्स : नहीं; मैं उन्हें कष्ट नहीं देना चाहता। गांधी : क्या आप उन्हें जेलमें रखना चाहते हैं ?

स्मट्स : नहीं। आपको मालूम है कि मैं इस मामले में कुछ भी नहीं जानता हूँ।

  1. हरमान कैलेनबैक; जोहानिसबर्गके एक समृद्ध जर्मन वास्तुकार, जिनका अध्यात्मकी ओर काफी झुकाव था । वे खुद भी सत्याग्रही थे और उन्होंने जोहानिसबर्गके पासका अपना “ल्स्टॉय फार्म" सत्याग्रहियोंके परिवारोंके भरण-पोषणके लिए. दे दिया था। फार्म के लोगोंको उन्होंने तरह-तरहके शिल्प सिखाये और बागवानीका प्रशिक्षण भी दिया । गांधीजी और श्री पोलककी अनुपस्थितिमें कुछ दिनों तक वे ब्रिटिश भारतीय संघके अवैतनिक मन्त्री रहे और गांधीजीके आहार-सम्बन्धी प्रयोगोंमें भी भाग लिया। देखिए दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास और आत्मकथा तथा “मानपत्र : एच० कैलेनबैकको", पृष्ठ १२६-१२७ एवं “श्री कैलेनबैकका स्वागत", पृष्ठ १२९-३१ ।