गांधी : शनिवारको इसकी अपील है। सम्भव' है, हम इसमें हार जायें। तब उन्हें या तो जेल जाना होगा या १० पौंड देने होंगे। वे जुर्माना न देंगी और इसलिए अवश्य जेल जायेंगी।
स्मट्स : नहीं, मैं नहीं चाहता कि वे जेल जायें। किन्तु आप ट्रान्सवालमें बहुत से लोगोंको गैर-कानूनी ढंगसे लाये हैं। और ऐसा न करें।
गांधी : मैं किसीको गैरकानूनी ढंगसे लानेकी बात स्वीकार नहीं कर सकता। श्रीमती सोढाको मैं गैरकानूनी ढंगसे हर्गिज़ नहीं लाया। मैंने पंजीयकको उचित नोटिस दिया। और मैं उनको इसलिए लाया कि अन्य बहुत-से सत्याग्रहियोंकी भाँति उनके पतिकी घर-गृहस्थी भी बरबाद हो गई थी।
स्मट्स : ठीक है, आप मुझे अपीलका परिणाम सूचित कर दें; मैं यह व्यवस्था कर दूंगा कि वे गिरफ्तार न की जायें। मुझे तुरन्त सूचित करें; करेंगे न?
गांधी: धन्यवाद! अवश्य करूँगा। बातचीतमें उन्होंने कहा कि फ्री स्टेटका मामला गोपनीय है। भेंट लगभग ४० मिनट तक चली।
गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५४७६) की फोटो-नकलसे। ।
३८. पत्र: एल० डब्ल्यू० रिचको
[केप टाउन]
अप्रैल २०, १९११
प्रिय रिच,
संलग्न सामग्री छगनलालने मुझे तुम्हारे लिए भेजी है। यह अंश इंडियन ओपिनियन' में उद्धृत करनेके लिए अच्छा है; किन्तु क्या हम ले सकते है ?
मुझे आशा है, तुम्हें अपने मुकदमे में सफलता मिली होगी। मेरा खयाल है, आवश्यकता पड़नेपर तुम कुमारी श्लेसिनसे पैसे लेते रहे हो।
खैर; उक्त सामग्री हेनरीको पढ़ने के लिए भेज दी जाये।
हृदयसे तुम्हारा,
मो० क० गांधी
गांधीजीके स्वाक्षरों में मूल अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५४८७) की फोटो-नकलसे ।