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३९. तार : ब्रिटिश भारतीय संघको

केप टाउन
अप्रैल २०, १९११

ब्रि० भा० सं०
जोहानिसबर्ग


इच्छा निश्चित रूपसे परिणाम जाननेपर ही लौटने की है। अभीतक निराश नहीं हुआ हूँ। सभाके बजाय काछलिया सोराबजीको अन्य बाहरी स्थानोंमें जानेकी बात सुझायें। स्थिति समझायें और चन्दा करें। समय बिलकुल न खोयें। दो दिन तक भारत और इंग्लैंडको तार न दें।

गांधी

मूल अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५४८२) की फोटो-नकलसे।

४०. पत्र : एल० डब्ल्यू रिचको

गुरुवार, अप्रैल २०, १९११

प्रिय रिच,

मुझे तुम्हारे दो तार मिले। प्रश्नोंकी पूर्व कल्पना करके उनका उत्तर[१] में कल ही दे चुका हूँ। तथापि मैने आज तार[२] भी कर दिया है। मैं पूर्णतः निराश नहीं हुआ हूँ और यदि वे कोई निर्णयात्मक उत्तर देनेका इरादा करें तो मैं प्रतीक्षा करना चाहता हूँ।

यदि तुम्हारा खयाल यह हो कि मैंने स्मट्सको जो व्यक्तिगत पत्र[३] भेजा है, उसकी प्रतिलिपि मॉडको मिलनी चाहिए, और मेरा भी ऐसा ही खयाल है तो वहीं उसकी नकल करके उसे एक प्रति भेज दो। मैं आज किसीसे नहीं मिला। कल रात मैं ऐंडर्सनके मकानपर सर डेविडसे[४] मिला और उनसे लम्बी बातचीत हुई। मेरी समझमें वे इस मामलेमें तनिक भी प्रभाव नहीं डाल सकते। मैं कल अलेक्जेंडरसे

  1. देखिए " तारः जोहानिसबर्ग कार्यालयको", पृष्ठ ३० ।
  2. देखिए पिछला शीर्षक ।
  3. देखिए. “पत्रः जनरल स्मटसको", पृष्ठ ३०-३२ ।
  4. सर डेविड हंटर; संघ-संसदमें डर्बनके सदस्य और भारतीय समाजके हमदर्द; कुछ दिनोंतक नेटाल गवर्नमेंट रेलवे के जनरल मैनेजर थे । देखिए खण्ड ५, पृष्ठ १९१ ।