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पत्र: ई०एफ० सी०लेनको


मिलकर देखूगा कि सदनमें कोई प्रश्न कराया जा सकता है या नहीं। किन्तु कोई सख्त कार्रवाई करनेसे पहले मैं स्मट्सके उत्तरकी प्रतीक्षा कर लेना चाहता हूँ।

हृदयसे तुम्हारा,
मो० क० गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५४८८) की फोटो-नकलसे।

४१. पत्र: ई० एफ० सी० लेनको

[केप टाउन
अप्रैल २०, १९११][१]

प्रिय श्री लेन,

मैंने जनरल स्मट्सके साथकी बातचीतका सार तारसे कल कांग्रेसके पास डर्बन और संघके नाम जोहानिसबर्ग भेज दिया था।[२]

नेटाल भारतीय कांग्रेसकी ओरसे निम्नलिखित तार मिला है:

कांग्रेस ट्रान्सवालके आन्दोलनको बन्द करनेपर राजी नहीं। इस सत्रमें निपटारा हो जाना चाहिए। सरकारके वादेके अनुसार मामला राज्याभिषेकके पहले खत्म हो जाना चाहिए, भले ही सत्रको कुछ अधिक चलाना पड़े। संघने निम्नलिखित तार दिया है : आपका १० तारीखका तार मिला। यदि इस सत्रमें कानूनमें संशोधन नहीं होता तो समितिने आन्दोलन चलाते रहने और भारत तथा इंग्लंडको तत्काल तार भेजनेका निर्णय किया है।

मैं केपके भारतीय नेताओंसे भी इस मामलेपर बातचीत करता रहा हूँ। वे बिना झिझके कहते है कि जनरल स्मट्स द्वारा सुझाये गये ढंगसे आन्दोलन बन्द करना असम्भव है। चूंकि मुझे जनरल स्मट्ससे मालूम हो गया है कि सामान्य विधेयकको वर्तमान अधिवेशनमें वापस ले लेनका निश्चित निर्णय कर लिया गया है और अब वे मेरे सुझाये गये वैकल्पिक समाधानको[३] स्वीकार नहीं करेंगे, इसलिए मैंने कोई सार्वजनिक घोषणा करने या भारतको तार भेजनेको मना किया है।

मैं अब भी आशा करता हूँ कि यदि फ्री स्टेटके सदस्य राजी नहीं होते तो मेरे वैकल्पिक समाधानपर, जो मेरी सम्मतिमें कोई कठिनाई उत्पन्न नहीं करता, इसी

  1. ब्रिटिश भारतीय संवके नाम जोहानिसबर्गको भेजे गये तार (देखिए “तार : जोहानिसबर्ग कार्यालयको", पृषु ३०) के उल्लेखले प्रकट होता है कि यह पत्र २० अप्रैलको लिखा गया था ।
  2. डर्बन कांग्रेसको भेजा गया तार उपलब्ध नहीं है; दूसरे तारके लिए. देखिए “ तार : जोहानिसबर्ग कार्यालयको", पृष्ठ ३० ।
  3. देखिए “ पत्र : ई० एफ० सी० लेनको", पृष्ठ ९-१० ।