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सम्पूर्ण गांधी वाङमय


अधिवेशनमें अमल किया जायेगा। कुछ भी हो, मैं जनरल स्मट्ससे यथासम्भव शीघ्र कोई निश्चित उत्तर देनेकी प्रार्थना करता हूँ।

हृदयसे आपका,

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ५४८९) की फोटो-नकलसे

४२. पत्र : एल० डब्ल्यू० रिचको

[केप टाउन]
शुक्रवार [अप्रैल २१, १९११]


प्रिय रिच,

स्म० द्वारा सरकारी तौरपर दिया गया उत्तर[१] तीसरे पहर २-३० बजे मिला । ३ बजे लेनके पास गया, ४-४५ पर वहाँसे उठा और, अलेक्जेन्डरके पास गया; उनसे मिला और तब तार-घर गया; अब शामके ५-४५ बज रहे हैं। विस्तारसे लिखनेके लिए बहुत समय नहीं है। लेनने मुझे जनरलके साथ हुआ गोपनीय पत्र-व्यवहार दिखाया। इससे प्रकट होता था कि विधेयकके इस अधिवेशनमें रखे जानेकी सम्भावना नहीं है; चाहे हम सत्याग्रह बन्द करें या न करें। इसलिए मैंने सोचा कि यदि कुछ आश्वासन[२] दे दिये जायें तो हम सत्याग्रह बन्द कर सकते हैं। मैं क्या चाहता हूँ, मैने बता दिया है। मैं कल ९ बजे सबेरे लिमिटेड एक्सप्रेससे रवाना होना चाहता था। इसलिए लेनने स्म० को टेलीफोन किया कि क्या वे आश्वासन दे सकते हैं और उन्होंने अन्तिम दो आश्वा- सनोंके सम्बन्धमें हाँ कहा; किन्तु पहले आश्वासनके सम्बन्धमें उनका उत्तर नकारात्मक था। फिर भी, मैं रुक गया हूँ। बहरहाल में प्रातःकाल लेनको देनेके लिए एक पत्र<ref</ref> लिख रहा हूँ। सत्याग्रहियोंको उनकी मुराद मिल जानेकी कुछ सम्भावना तो है; मैं प्रयत्न कर रहा हूँ। यदि लिखित आश्वासन दे दिया जाये तो मेरा यही खयाल है कि वह सर्वोत्तम होगा। हमारे लिए अगले अधिवेशनमें एक सामान्य विधेयक जरूर प्रस्तुत किया जायेगा। जनरल स्मट्सके पत्रकी[३] प्रतिलिपि भेजनके लिए समय नहीं है। आज सायंकालके लिए मेरे पास बहुत काम है। एक दिन किम्बलेमें बिताऊँगा; इसलिए मुझे वहाँ बुधवारके सबेरे पहुँच जाना चाहिए।

हृदयसे तुम्हारा,
मो० क० गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५४९२) की फोटो-नकलसे।

  1. देखिए गांधीजीको लिखा लेनका पत्र, परिशिष्ट २ ।
  2. और
  3. देखिए परिशिष्ट २ ।