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सम्पूर्ण गांधी वाङमय


नियम २ को रद करनेका कानून पास कर दिया जायेगा और ट्रान्सवालमें एशियाइयोंके प्रवासके सम्बन्धमें कानूनी समानता पुनः स्थापित कर दी जायगी एवं वर्तमान अधिकार कायम रखे जायेंगे। यदि ट्रान्सवालके वर्तमान प्रवासी अधि- नियममें से प्रजातीय प्रतिबन्ध एक सामान्य विधेयक द्वारा दूर कर दिया जाता है, तो इस विधेयकको स्वभावत: संघ-भरमें प्रजातीय प्रतिबन्धसे मुक्त रखा जाना चाहिए।

(ख) वे अनाक्रामक प्रतिरोधी, जो प्रतिरोध न करते तो पंजीयनके अधिकारी होते, अब १९०८ के अधिनियम ३६ में किसी विरोधी विधानके बावजूद पंजीयनके अधिकारी माने जायें।

(ग) शिक्षित अनाक्रामक प्रतिरोधी, जो अब ट्रान्सवालमें है, किन्तु जो एशियाई अधिनियमके अन्तर्गत पंजीकृत नहीं हो सकते, आगामी कानूनके खयालसे शिक्षित प्रवासियोंके रूपमें ट्रान्सवालमें रहने दिये जायें; उनकी संख्या छ: से अधिक न हो। उनको विशेष प्रमाणपत्र दे दिये जायें जिससे वे अबाध रूपसे इधर-उधर आ-जा सकें।

यदि उक्त आश्वासन दे दिये जाये[१] तो मैं अपने देशवासियोंको अनाक्रामक प्रतिरोध बन्द करनेके लिए राजी करने में किसी कठिनाईकी सम्भावना नहीं देखता।

मुझे विश्वास है, जनरल स्मट्स यह स्वीकार करेंगे कि उक्त आश्वासन मांगकर मैं केवल उन्हीं बातोंकी पुष्टिकी प्रार्थना कर रहा हूँ, जिन्हें उन्होंने प्रायः सार्वजनिक रूपसे कहा है। मुझे निश्चय है कि भारतीय समाज जनरल स्मट्सके प्रति इस बातके लिए बहुत कृतज्ञ होगा कि वे अपील नामंजूर होनेपर भी श्रीमती सोढाको जेल न भेजनेपर राजी हो गये हैं।

मैं जनरल स्मट्स द्वारा यह मौखिक आश्वासन[२] दिये जानेके लिए भी कृतज्ञ हूँ कि वे व्यक्तिगत कठिनाइयोंका विचार करके उन मामलोंमें राहत देने की कृपा करेंगे।

मुझे यह बात दुहरानेकी आवश्यकता नहीं है कि वर्तमान अनाकामक प्रतिरोध आन्दोलनका कुछ भी क्यों न हो, भारतीय समाज विभिन्न प्रान्तोंके उन कई मामलोंके सम्बन्धमें उनको [जनरल स्मट्सको] परेशान करता रहेगा, जिनके सम्बन्धमें समय-समय पर आवेदन-पत्र आदि दिये जाते रहे हैं।

अन्तमें जिसे मैंने कई बार कहा है फिर वही कहने का साहस करता हूँ कि जिन लोगोंको दक्षिण आफ्रिकामें भारतीय समाजका मार्गदर्शन करनेका गौरव प्राप्त है वे सदा अधिकारियोंकी सहायता करनेके लिए उत्सुक रहे हैं और वे उनकी सहायता करते रहेंगे। साथ ही अबतक की भाँति आगे भी वे, भारतीय समाजके आत्मसम्मान

  1. आश्वासन दिया भी गया; देखिए परिशिष्ट ४ ।
  2. देखिए “जनरल स्मटससे मुलाकातका सार", पृष्ठ ३४-३५ ।