पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 11.pdf/८०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४६
सम्पूर्ण गांधी वाङमय


इस उद्देश्यको सामने रखकर ही बनाय गये हैं कि यूरोपीय प्रवास-सम्बन्धी प्रशासनमें व्यावहारिक समानता कायम रहे।

किसी भी बाधाकी आशंका नहीं

[भेंटकर्ता:] अब तो समस्याके हल हो जाने के बारेमें आपको कोई शक नहीं है ?

[गांधीजी:] जहाँतक मैं समझ पाया हूँ, उसमें कोई बाधा नहीं पड़नी चाहिए क्योंकि दोनों पक्षोंमें गलतफहमी पैदा न होने देने या थोड़ी भी अस्पष्टता न रहने देनेका भरसक प्रयास किया गया है। अलबत्ता एक बड़ी हद तक सब कुछ इस बातपर निर्भर करेगा कि जनरल स्मट्स अपनी घोषणाओंका निर्वाह किस प्रकार करते है। समाजके कार्यकर्ताओंके मन में सरकारके इरादोंके बारेमें इतना गहरा सन्देह जम गया है कि उसका मिटना मुश्किल लगता है। और दरअसल कल रातकी सभामें भारतीय समाजके नेताओंको इस कठिनाईका सामना सबसे अधिक करना पड़ा था। संघ-सरकारी ओरसे जो कुछ लिखा या कहा जाता है, उसमें उनको अपने विरुद्ध कुछ-न-कुछ दीख ही जाता है। एक बार तो स्थिति में काफी तनाव आ गया था और बड़ी गर्मागर्म बहस छिड़ गई थी, लेकिन अन्तमें लोग शान्त हो गये और सभाने अस्थायी समझौतेको स्वीकार करनेका निर्णय किया। तब भी कुछ लोगोंने विरोधमें मत दिया।[१]

[भेंटकर्ता:] केप टाउनमें आपका क्या अनुभव रहा?

[गांधीजी:] मुझे स्वीकार करना चाहिए कि जनरल स्मट्सका रुख अत्यन्त अनुग्रहपूर्ण तथा मत्रीपूर्ण रहा और पूरी वार्ता के दौरान समझौता करनेकी उनकी हार्दिक इच्छा प्रकट होती रही। उन्होंने कई बार कहा कि मैं जानता हूँ कि सत्याग्रही बहुत कष्टसहन कर रहे हैं और मैं नहीं चाहता कि उनके कष्टोंकी अवधि और अधिक बढ़ जाये।

एक और प्रश्नके उत्तरमें श्री गांधीने कहा कि ट्रान्सवालमें भारतीयोंकी संख्या ८,००० से अधिक है और युद्धसे पहलेके भारतीय निवासियोंकी संख्यासे ७,००० कम है। अन्तमें, उन्होंने अनुरोध किया कि 'स्टार' के स्तम्भोंके जरिये जोहानिसबर्ग और लन्दनमें यूरोपीय समितियोंके सदस्यों, लॉर्ड ऍग्टहिल[२] और प्रोफेसर गोखलेके प्रति उनकी और उनके देशवासियोंकी कृतज्ञता व्यक्त की जाये, जिनके समर्थनके बिना " हम इस मंजिल तक नहीं पहुँच सकते थे।

[अंग्रेजीसे]
स्टार, २८-४-१९११

  1. इस मुलाकातका जो विवरण इंडियन ओपिनियनमें छपा है, उसमें गांधीजीके वक्तव्यका यह अंश उद्धृत नहीं किया गया है और सिर्फ इतना कहा गया है कि "श्री गांधीजीने समूचे पत्र-व्यवहारपर प्रकाश डाला और उसमें आये हुए प्रस्तावोंको स्वीकार कर लेनेकी सलाह दी। आखिर काफी गरमागरम बहसके बाद सत्याग्रह आन्दोलन स्थगित करनेका प्रस्ताव पास हुआ, लेकिन शर्त यह थी कि जनरल स्मट्स अपने वादोंको पूरा करें ।"
  2. आर्थर ऑलिवर विलियर्स रसॅल (१८६९-१९३६), ऍम्टहिलके द्वितीय वैरन; मद्रासके गवर्नर, १८९९-१९०६ सन् १९०४ में भारतके कार्यवाहक गवर्नर-जनरल और वाइसरॉय; दक्षिण आफ्रिकी भारतीयों के संघर्षसे सक्रिय सहानुभूति रखते थे और दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समितिके अध्यक्ष भी थे।