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सम्पूर्ण गांधी वाङमय


(४) जिनके पास शान्ति-रक्षा अध्यादेशके अन्तर्गत प्राप्त अनुमतिपत्र है, किन्तु जो निर्वासित कर दिये गये हैं, क्या उन सत्याग्रहियोंकी भी उसी प्रकार रक्षा की जायेगी?

उत्तर : हाँ।

(५) जिन शिक्षित सत्याग्रहियोंको अस्थायी प्रमाणपत्रोंके अन्तर्गत ट्रान्सवालमें रहने दिया जायेगा, क्या वे इस वर्षके प्रवासी माने जायेंगे और १९०८ के अधिनियम ३६ के अन्तर्गत पंजीयनके दायित्वसे मुक्त होंगे?

उत्तर: हाँ।

(६) पाँचवे प्रश्नमें उल्लिखित व्यक्तियोंका जो शिक्षा-स्तर होगा, क्या भावी एशियाई प्रवासियोंका शिक्षा-स्तर भी वही रखा जायेगा?

उत्तर : नहीं। यह स्पष्ट किया गया कि केवल उच्च शिक्षा प्राप्त लोगोंको ही शिक्षा-परीक्षामें उत्तीर्ण होनेका अवसर दिया जायेगा, और यदि योग्यताके आधारपर नये प्रवासीके रूपमें प्रवेश पानेका प्रयत्न किया जायेगा तो शायद उक्त छ: लोगोंमें से श्री जोजेफ रायप्पनके अतिरिक्त अन्य सब अस्वीकृत कर दिये जायेंगे।

(७) क्या जो शिक्षित एशियाई पंजीकृत अधिवासी हैं, उन्हें अंगुलियोंकी या अँगूठोंकी छाप देनेके लिए बाध्य किया जायेगा?

उत्तर : नहीं।

(८) क्या विख्यात अथवा जिन्हें अन्तःकरणके आधारपर आपत्ति है ऐसे एशियाई इसी प्रकार मुक्त रहेंगे?

उत्तर : हाँ, वे अँगुलियोंकी छापसे मुक्त होंगे और यदि लिखकर ठीक-ठीक हस्ताक्षर कर सकेंगे तो अँगुठोंकी छापसे भी मुक्त होंगे।

अन्तके दो उत्तर १९०८ में किये गये पहले पत्र-व्यवहार और हालमें प्रकाशित खरीतोंके आधारपर दिये गये। इस मामलेकी चर्चा हमारे बीचकी बातचीतमें मैंने इसलिए नहीं उठाई थी कि मेरे मनमें इसे लेकर कोई सन्देह नहीं था।

मुझे विश्वास है कि मैं जो जनरल स्मट्सको बार-बार तंग करता हूँ, वे उसका बुरा न मानेंगे; क्योंकि मैं जानता हूँ कि हम दोनों ही गलतफहमीसे बचनेके लिए बहुत चिन्तित हैं।

मुझे पता चला है कि श्री सोढा ऐसे अधिवासी नहीं हैं जो यहाँ युद्धके पहले तीन वर्ष रह चुके हों। वे युद्धसे पहले ट्रान्सवालमें लगातार दो वर्षसे अधिक रहे और शरणार्थीके रूपमें ही उन्होंने ट्रान्सवाल छोड़ा। इन दोनों तथ्योंके सम्बन्धमें सचमुच कोई सन्देह नहीं है। किन्तु १९०८ के अधिनियम ३६ को अक्षरश: देखें तो युद्धसे पूर्व ३ वर्षका निवास आवश्यक होता है। क्या कानूनके इस कठोर शब्दानुशीलनकी उपेक्षा करके श्री सोढाको पंजीयनकी अनुमति नहीं दी जा सकती? यदि उनको यह अनुमति नहीं दी जाती तो वे शिक्षित प्रवासियोंकी श्रेणीमें आ सकते हैं, क्योंकि उनमें शिक्षा- सम्बन्धी योग्यता है। तब वे सर्वश्री रायप्पन, सोराबजी, मेढ, देसाई और शेलतके साथ छठे शिक्षित व्यक्ति होंगे। किन्तु तब एक बहुत ही वांछनीय और उच्च शिक्षा-प्राप्त