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पत्र : ई० एफ० सी० लेनको


व्यक्ति, श्री रायप्पनके भतीजे तथा अध्यापक श्री सैम्युअल जोजफ, बाहर रह जायेंगे। उनका जन्म दक्षिण आफ्रिकामें हुआ था, और वे अब भी प्रोटेस्टेंट ईसाइयोंके गिरजेमें वादक है और निजी तौरपर कुछ लोगोंको पढ़ाते भी हैं। मैं प्रार्थना करता हूँ कि श्री सोढाके बारेमें कानूनकी नरम व्याख्या करके इनका [जोजेफका] खयाल किया जाये। हम श्री सेम्युअल जोजेफके खयालसे पहले बताये गये छ: लोगोंमें से शायद एकको छोड़ सकते थे; किन्तु कष्ट-सहनकी दृष्टिसे दूसरे लोगोंकी पात्रता श्री सैम्युअल जोजेफकी अपेक्षा कहीं अधिक है।

मुझे अतीव कष्टकारक एक और मामलेका उल्लेख करनेके लिए कहा गया है। यह श्री कामेका मामला है। वे जोहानिसबर्गमें भारतीय पोस्टमास्टर थे। वे खासे पढ़े-लिखे हैं। मेरा खयाल है कि उन्होंने इस हैसियतसे लगभग दस वर्ष तक सेवा की है। उसके बाद उनको नौकरी छोड़ देनी पड़ी, क्योंकि उन्होंने पंजीयनसे इन्कार कर दिया था। श्री कामे पारसी हैं। उनका परिवार जोहानिसबर्गमें है। उन्होंने संघर्ष में बहुत हानि उठाई है। मेरा विश्वास है कि वे पोस्टमास्टरके रूपमें बहुत लोकप्रिय थे और उनके वरिष्ठ अधिकारियोंका उनपर पूरा विश्वास था। मेरी सम्मतिमें उनको बहाल कर दिया जाना चाहिए।

अभी मेरे सामने उन भारतीय सत्याग्रहियोंकी सूची नहीं है, जो युद्धसे पहलेके निवासी होनेके कारण पंजीयनके अधिकारी हैं; किन्तु मैं उनके नामोंको इकट्ठा कर रहा हूँ। मैं समझता हूँ कि मैंने यहाँ जिन मुद्दोंका उल्लेख किया है, उनपर हमारे सहमत होते ही पंजीयन शुरू हो जायेगा।

जब मैंने चीनी सत्याग्रहियोंका उल्लेख किया था तो आपको कुछ आश्चर्य हुआ था। किन्तु वे अन्ततक कष्ट उठाते ही रहे हैं। और उनके अध्यक्ष श्री क्विन अभी-अभी जेलसे छूटे हैं। मेरा खयाल है कि अब जेलमें भारतीय सत्याग्रहियोंकी अपेक्षा चीनी सत्याग्रही अधिक है। मुझे पूरा भरोसा है कि जनरल स्मट्स भारतीय सत्याग्रहियों यह अपेक्षा नहीं करेंगे कि वे अपने चीनी साथियोंका परित्याग कर दें। उनका चीनी सत्याग्रहियोंके लिए अपने ही जैसा संरक्षण माँगना स्वाभाविक है। मुझे ज्ञात हुआ है कि युद्धसे पहलेके केवल बीस चीनी सत्याग्रही ऐसे हैं जो १९०८ में संघर्षके आरम्भ होते समय पंजीकृत नहीं थे। किन्तु मैंने चीनियोंकी बात यहाँ उन चार चीनियोंके एक नाजुक-से मामलेका जिक्र करनेके लिए उठाई है, जो खुले आम आपसमें मारपीट करनेके जुर्ममें जेल भुगत रहे हैं। जब संघर्ष पुनः आरम्भ हुआ तब उनमें ही दो दल हो गये और इन दलोंमें फौजदारी हो गई। फलस्वरूप कुछको सजाएँ हुई। अब दोनों दल मिल गये है। सम्राट्से क्षमा-दान पानेके लिए गवर्नर-जनरलके नाम एक आवेदनपत्र भी तैयार किया जा रहा है। आशा है, जनरल स्मट्स उनके सम्बन्धमें अनुकूल विचार करनेकी सिफारिश करेंगे।

मैंने काफी विस्तारसे लिखा है। किन्तु मुझे लगा कि इसे जितनी बारीकीसे और जितना खोलकर लिखा जाये, कम होगा।

आप कृपापूर्वक इस पत्रको जनरल स्मट्सके सम्मुख रख दें और यदि वे

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