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सम्पूर्ण गांधी वाङमय


भी व्यक्त को कि श्री पोलक वहाँ जो भी सार्वजनिक कार्य करेंगे वह भी भारतमें किये गये उनके प्रयासोंकी तरह ही सफलतासे विभूषित होगा।

सोमवारको रातमें श्री जोज़फ रायप्पनके सम्मानमें वन्देमातरम् लीगकी ओरसे एक स्वागत-समारोहका आयोजन किया गया। उसमें नाश्तेका प्रबन्ध किया गया था और कोई ५० अतिथियोंके लिए मेजें लगाई गई थीं। इन अतिथियोंमें अन्य लोगोंके अलावा सर्वश्री काछलिया, क्विन, फैंसी, थम्बी नायडू, डेविड अर्नेस्ट, बावजीर, सोराबजी तथा मेढ भी शामिल थे। सर्वश्री कैलेनबैक और आइज़क भी उपस्थित थे। अध्यक्षता श्री गांधीने की। कई लोगोंने भाषण दिये। न्यूनाधिक सभी भाषण सत्याग्रह आन्दोलनसे सम्बद्ध थे।

सन् १८८५ के कानून ३, स्वर्ण कानून और कस्बा-कानन संशोधन अधिनियमके अमलसे उत्पन्न कठिनाइयों तथा अन्य अनेक बातोंके सम्बन्धमें भी उपनिवेश-मन्त्रीकी सेवामें ब्रिटिश भारतीय संघ एक प्रार्थनापत्र भेज रहा है। श्री रिच अबतक अदालतोंमें कई मामलोंकी सफल पैरवी कर चुके हैं।

श्री सी० रामास्वामीने फार्मके लिए एक बक्सा सब्जी भेजी है।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, ६-५-१९११

५३. पत्र: ई० एफ० सी० लेनको[१]

मई ४,१९११

प्रिय श्री लेन,

जनरल स्मट्सके साथ हुई भेंटके[२] सम्बन्धमें मैंने श्री काछलिया और अन्य नेताओंसे सलाह की है। सत्याग्रहियोंके रूपमें प्रार्थनापत्र देनेके अधिकारी लोगोंके नामोंकी पूरी सूची आपको देना कोई आसान बात नहीं है। बहरहाल सूची बनाने में कुछ समय लगेगा ही। किन्तु मेरा खयाल है कि मैं सुगमतासे आपको यह बता सकता हूँ कि किस

  1. श्री लेनने ५ मई, १९११को इस पत्रकी प्राप्ति-सूचना देते हुए लिखा था कि इसे मन्त्रीके पास विचारार्थ भेजा जा रहा है (एस० एन० ५५२९) और गृह मन्त्रालयके कार्यवाहक सचिवने १९ मईको गांधीजीको सूचित किया था कि सरकारने सत्याग्रहियोंकी माँगें अन्तिम रूपसे मान ली हैं। मन्त्रीने यह विश्वास प्रकट किया था कि एशियाई समाज इस स्वीकृतिको प्रस्तुत प्रश्नोंके अन्तिम निबटारेके रूपमें ग्रहण करेगा।" देखिए परिशिष्ट ५ ।
  2. यह भेंट १९ अप्रैल, १९११ (पृष्ठ ३२-३५) वाली भेंट नहीं मालूम पड़ती, क्योंकि इस पत्रमें जिन-जिन मसलोंकी चर्चा की गई है उनमें से एक भी उस मुलाकातके समय नहीं उठाया गया था। जो भी हो, गांधीजीने पोलकके नाम अपने ८ मई, १९११के पत्रमें उल्लेख किया था कि गुरुवार या शुक्रवारको उन्होंने स्मट्ससे मुलाकात की थी। यह मान लेना स्वाभाविक ही होगा कि मुलाकात ४ या ५ मईको हुई होगी । पोलकके नाम पत्रसे लगता है कि मुलाकात हुई थी किन्तु उसका कोई विवरण उपलब्ध नहीं हुआ ।