पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 11.pdf/९४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
६०
सम्पूर्ण गांधी वाङमय

मैं यह मानकर चलता हूँ कि पंजीयन तुरन्त आरम्भ कर दिया जायेगा। मेरा सुझाव है कि एक निश्चित तिथि, कहिए आगामी ३१ दिसम्बर, के बाद प्रार्थनापत्र न लिये जायें।

मैं कहना चाहता हूँ कि अब इस मामलेको अन्तिम रूपसे तय कर देना इष्ट है; क्योंकि अभीतक कुछ ऐसे सत्याग्रही जेलमें पड़े हैं जिनकी रिहाईकी सिफारिश की जानी है; और फिर मेरी यह उत्कट इच्छा है कि यदि मुझसे बने तो मैं उन मुद्दोंपर और अधिक चर्चा न होने दूं जो अन्तिम घोषणामें देर होनेके कारण एक-एक करके उठते ही चले जा रहे हैं।

आपका आदि
[मो० क० गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ५५२९ 'क') की फोटोनकल तथा २७-५-१९११ के 'इंडियन ओपिनियन' से। मसविदेमें अन्तिम अनुच्छेद नहीं है।

५४. पत्रः ए०ई० छोटाभाईको

मई ४,१९११

प्रिय श्री छोटाभाई,

अपने पुत्रके मुकदमेके[१] सिलसिलेमें आपका इसी माहकी ३ तारीखका पत्र और ३०० पौंडका चेक मिला। बहुत आभारी हूँ। जैसा कि मैं आपको पहले ही सूचित कर चुका हूँ, मेरी इच्छा आपकी इस उदार भेटका निजी उपयोग करनेकी नहीं है। मेरा इरादा है कि शीघ्र ही प्रेस-भवन तथा मशीनोंके साथ, जिनका मूल्य ५,००० पौंड आँका गया है, फीनिक्स आश्रमका एक ट्रस्ट बनाकर सार्वजनिक कार्यके हितार्थ धरोहरके रूपमें इन्हें ट्रस्टियोंको सौंप दिया जाये। और यदि मैं धनवानोंको आपका अनुकरण करनेके लिए राजी कर सका,[२] तो मेरा इरादा प्राप्त होनेवाली रकमसे फीनिक्समें एक अच्छा-सा स्कूल बनानेका है। किन्तु यदि यह सहायता न मिली तो मेरा इरादा इस रकमको सत्याग्रह-कार्यके लिए जमा रखनेका है, ताकि यदि दुर्भाग्यवश अगले वर्ष सत्याग्रह फिरसे शुरू करनेकी जरूरत आ पड़ी तो आवश्यकता होनेपर इसका उपयोग उस कार्यमें किया जाये।

सार्वजनिक कार्योंमें सहयोग करनेके आपके वचनके लिए धन्यवाद सहित,

आपका हृदयसे
मो० क० गांधी

[अंग्रेजीसे
इंडियन ओपिनियन, १३-५-१९११

  1. छोटाभाईके मामलेके विशद विवरणके लिए देखिए “पत्र : ई० एफ० सी० लेनको", पृष्ठ ३९ पाद-टिप्पणी २ ॥
  2. देखिए "श्री छोटाभाईकी भेंट", पृष्ठ ६८ ।