जान-बूझकर देशके हितोंको हानि पहुँचाने के लिए अपनाई है। आपके बीच काम करनेवाले पुरुषों और स्त्रियोंके बीच जो मतभेद हैं उसे भूलना ही होगा। (हर्ष ध्वनि) आपमें स्वशासन की क्षमता है या नहीं (शान्त-शान्त), इसकी यह पहली कसौटी होगी। (खूब-खूब की आवाजें) अगर आप असहयोग आन्दोलनका समारम्भ करने जा रहे हैं तो आपका ऐसा आचरण शुभ कार्यका एक बुरा और शोचनीय प्रारम्भ माना जायेगा। (खूब-खूब की आवाजें)
बादमें उन्होंने श्रोताओंसे अनुरोध किया कि श्रीमती बेसेंटका भाषण शान्तिसे सुनना ही काफी नहीं बल्कि अपनी उम्र और भारतके प्रति अपनी शानदार सेवाओंके कारण वे जिस सम्मानकी पात्र हैं, वह सम्मान भी उन्हें वीजिए। (खूब-खूब की आवाजें)
जिस तरह उनका विरोध करनेमें मैं किसीसे कम सिद्ध नहीं होऊँगा उसी प्रकार श्रीमती बेसेंटके प्रति आदर-भाव रखनेमें किसीसे——उनके बड़ेसे-बड़े प्रशंसकों से भी——मैं कम नहीं हूँ। (खूब-खूब)। और उन्होंने इस देशकी जो सेवा की है, उसके लिए यह आदर तो उन्हें हर भारतीयसे पानेका हक है। अपने देशके नामपर आप जो अनुष्ठान करने जा रहे हैं, उस अनुष्ठानके नामपर मैं आप लोगोंसे निवेदन करता हूँ कि आप श्रीमती बेसेंटकी बातें और जिन अन्य लोगोंको आप अपना विरोधी मानते हैं, उन सबकी बातें भी आदरके साथ सुननेकी कृपा करें। (खूब-खूब। वन्दे-मातरम् के नारे)
अमृतबाजार पत्रिका, ५-९-१९२०
१३२. 'नवजीवन' का नया वर्ष
'नवजीवन' एक वर्षका हो गया। इस बीच उसपर अनेक आपदाएँ आईं। उनके बावजूद उसने अपना प्रथम वर्ष पूरा कर लिया; मैं अपनी समस्त इच्छाओंको सफल नहीं बना पाया हूँ। प्रेसकी असुविधाओं, कागजकी कमी, व्यवस्थाकी त्रुटियों आदि कठिनाइयोंके कारण 'नवजीवन' में जितने पृष्ठ देनेका विचार था, उतने नहीं दिये जा सके।
कुछ एक अवैतनिक एजेन्टों द्वारा परेशान किये जानेपर ग्राहकोंको दिक्कतोंका सामना करना पड़ा है। इस प्रयोगके निष्फल सिद्ध होनेसे मुझे दुःख हुआ है। "अवैतनिक", प्रेमभाव से किया गया कार्य, पैसे लेकर किये जानेवाले कार्यकी अपेक्षा अधिक अच्छा होना चाहिए; लेकिन हम उस सीमातक नहीं पहुँच पाये हैं। सेवाधर्मकी भावनाका लोगोंमें प्रसार तो हो गया है लेकिन वह शक्ति अभी विकसित नहीं हुई है।
इन कठिनाइयोंके अतिरिक्त मेरी निजी कठिनाइयाँ भी मुझे परेशान करती हैं। इसलिए मैं पाठकोंके सम्मुख जो-कुछ प्रस्तुत करना चाहता था, नहीं कर सका। पत्रका