सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 18.pdf/३५४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३२६
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


लेफ्टिनेन्ट ह्यविट मुझे इत्तिला देते हैं कि विवरणमें रेल-यात्राका जो उल्लेख है, उसमें उनके अलावा और कोई अधिकारी न तो यात्रा कर रहा था और न विवरणमें बताये गये अवसरपर वहाँ मौजूद ही था। उनका कहना है कि इन आरोपोंमें, जो स्पष्टतः उन्हींके विरुद्ध लगाये गये हैं, कुछ भी तथ्य नहीं है। 'यंग इंडिया' के उसी अंकके दूसरे पृष्ठपर मेरा अपना लेख[]भी प्रकाशित हुआ था, जिसमें मैंने कहा था, "मगर इस बयानमें कही गई बातें सच्ची हों तो यह उन तथाकथित सिपाहियोंके लिए बहुत लज्जाका विषय है जिन्होंने महिलाओंके सम्मानकी रक्षाका प्रयत्न करनेवाले एक व्यक्तिकी हत्या करनेमें पाशविक सुखका अनुभव किया।" लेकिन साथ ही मैंने अपने पाठकोंको यह सलाह देनेकी भी सावधानी बरती थी कि जबतक उनके सामने सरकारका बयान नहीं आ जाता तबतक वे इस सम्बन्धमें अपना कोई निश्चित मत न बनायें।

मैं लेफ्टिनेन्ट ह्यविट द्वारा भेजा गया खण्डन सहर्ष प्रकाशित कर रहा हूँ। इस तरह मूल वक्तव्य और सम्बन्धित अधिकारी द्वारा किया गया खण्डन, दोनों ही जनताके सम्मुख प्रस्तुत हैं। अतएव अब यह और भी जरूरी हो जाता है कि जनता जाँचका परिणाम सामने आनेतक इसपर अपना कोई मत कायम न करे।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २९-९-१९२०
 

१७३. पंजाबमें दमन

लाहोरसे प्रकाशित 'जमींदार' नामक पत्रके सम्पादक और मालिक श्री जफरअली[]खाँपर मुकदमा चल रहा है। जबतक यह लेख प्रकाशित होगा तबतक, सम्भवतः उनके भाग्यका निपटारा हो चुके। पाठकगण श्री जफर अली खाँपर लगाये गये आरोपोंपर ध्यान दें। राजनीतिक दृष्टिकोणसे यह आरोप-पत्र अध्ययन करने लायक हैं; कानूनी दृष्टिसे तो मामला अभी न्यायाधीशोंके विचाराधीन ही है और उसे उन्हींके विचाराधीन रहने देना चाहिए। श्री जफर अली खाँपर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने ऐसी बातें कहीं जो ब्रिटिश भारतमें कानून द्वारा प्रतिष्ठापित सरकारके विरुद्ध जनतामें असन्तोषकी भावना पैदा करने तथा महामहिमके विभिन्न वर्गोंके बीच आपसमें शत्रुताका भाव फैलानेकी कोशिश करनेके बराबर है।

श्री जफर अली खाँको जो बातें कहनेके लिये जिम्मेदार ठहराया गया है, वे बातें अगर उन्होंने सचमुच कहीं हों और उनमें कोई सचाई न हो तब तो निःसन्देह उन्होंने अपराध किया है। लेकिन ध्यान रहे कि ऐसी बातें अपराध तभी मानी

  1. देखिए "गोलीके शिकार "मुहाजरीन" के बारेमें कुछ और", २८-७-१९२० ।
  2. उनपर हजरोमें अगस्त १९२० में खिलाफत तथा अन्य समस्याओंके सम्बन्धमें सरकारके विरुद्ध वक्तव्य देनेका आरोप लगाया गया था; देखिए यंग इंडिया, २९-९-१९२० ।