है कि चायकी दुकानें भी मुझे पसन्द नहीं हैं लेकिन मैंने उन्हें बन्द करवानेकी कोई हलचल न तो खुद शुरू की है और न किसीसे वैसा करनेको कहा है। सच तो यह है कि यदि कोई चायकी दुकानें जबरदस्ती बन्द करवाना चाहे तो मैं दुकानदारोंकी रक्षा करूँगा। जो लोग चायकी दुकानें बन्द करवानेकी इस हलचलमें हिस्सा ले रहे हैं उन्हें यह काम करना ही हो तो शान्तिसे करना चाहिए। लोगोंको उसके लिए समझाना चाहिए, उसमें पशुबलका उपयोग कदापि नहीं करना चाहिए और न मेरे नामका दुरुपयोग करना चाहिए। स्वयंसेवकोंको चाहिए कि वे निर्दोष दुकानदारोंको ऐसे हमलोंसे बचायें।
मो॰ क॰ गांधी
गुजराती, ३१-१०-१९२०
२२३. दीवाली कैसे मनायें
अगर हम ऐसा कहें कि इस कलियुगमें हमें ठाठ-बाटके साथ दीवाली मनानेका कोई अधिकार नहीं है, तो अतिशयोक्ति न होगी। दीवाली मनानेका अर्थ यह हुआ कि हम रामराज्यमें रहनेकी कल्पना कर रहे हैं। क्या आज हिन्दुस्तानमें रामराज्य है?
जो राजा प्रजाकी बात सुननेको तैयार ही नहीं है, जिस राजाकी प्रजाके लिए पीनेको दूध नहीं, खानेको भोजन नहीं, पहननेको वस्त्र नहीं, जो राजा बिना किसी संकोचके लोगोंकी हत्या करता है, जो राजा अफीम, शराब और गाँजेका व्यापार करता है, जो राजा सूअरका मांस खाकर मुसलमानोंका और गायका मांस खाकर हिन्दुओं का मन दुःखाता है, जो राजा इस्लामको जोखिममें डालता है, जो राजा घुड़दौड़में दाव लगाता है उस राजाकी प्रजा दीवाली कैसे मना सकती है?
इस वर्णनमें किसीको अतिशयोक्तिकी आशंका नहीं होनी चाहिए; अथवा जिन्हें ऐसा भय है उन्हें मैं नम्रतापूर्वक समझानेके लिए आतुर हूँ। यदि मैं अंग्रेजोंके प्रति तनिक भी अन्याय करता होऊँ तो मैं अपनी भूल स्वीकार करनेके लिए तैयार हूँ। उस भूलके लिए क्षमा माँगना भी मैं अपना धर्म समझूँगा।
जिस कसौटीपर मैं ब्रिटिश राज्यको कसना चाहता हूँ उसी कसौटीपर किसी भी भारतीय राजाको कसना चाहूँगा। इतना ही नहीं अपितु भारतीय राजाको मैं और भी कठिन कसौटी पर कसना चाहूँगा। कसौटीपर थोड़ा-सा कसते ही मुझे अंग्रेजी राज्य असा प्रतीत होता है। इस राज्य-सत्ताके प्रति मेरा समस्त मोह नष्ट हो चुका है।
अंग्रेज जनताकी शूरवीरताके प्रति मेरे मनमें बहुत अधिक सम्मान है। उनकी संघशक्ति, योजनाशक्ति सुन्दर है। उनके साहित्यके कितने ही अंश अवर्णनीय हैं। उनकी 'बाइबिल' को पढ़कर मुझे आत्म-सन्तोष मिलता है। लेकिन उनकी स्वार्थपरता उनके गुणोंको ढक देती है। उनकी इस प्रवृत्तिसे हिन्दुस्तानको नुकसान ही हुआ है।