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सम्पूर्ण गांधी वाङ् मय


अगर यह १८८९ में सही था, जबकि उपर्युक्त शब्द लिखे गये थे, तो अब दूना सही है। कारण, दक्षिण आफ्रिकाकी विधान-निर्मातृ सभाओंने सम्राज्ञीके भारतीय प्रजाजनोंकी स्वतन्त्रतापर प्रतिबन्ध लगाने के कानून बनाने में अद्भुत सरगरमी दिखाई है।

वहाँ हमारी उपस्थितिके बारेमें दूसरी आपत्तियाँ भी उठाई गई हैं। परन्तु वे कसौटीपर ठहर नहीं सकेंगी और 'हरी पुस्तिका' में मैंने उनका वर्णन किया ही है। फिर भी मैं 'नेटाल एडवर्टाइज़र' से एक उद्धरण देता हूँ। इस पत्रने एक आपत्तिका उल्लेख किया है और उसकी राजनीतिज्ञोचित ओषधि भी सुझाई है। और जहाँतक आपत्ति सही है, हम इसके सुझावसे पूरी तरह सहमत हैं। इस पत्रकी व्यवस्था यूरोपीयोंके हाथ में है, और एक समय यह हमारा घोर विरोधी था। सारे प्रश्नकी चर्चा साम्राज्यिक दृष्टिकोणसे करते हुए अन्तमें यह कहता है :

इसलिए, शायद अब भी देखा जा सकेगा कि भारतीयोंके ब्रिटिश उपनिवेशोंमें आनेसे आज जो कमियाँ आ गई हैं वे पृथक्करणकी पुराणपंथी नीति स्वीकार करने से उतनी दूर नहीं होंगी, जितनी कि उनमें बसनेवाले भारतीयोंको राहत देनेवाले कानूनोंके उत्तरोत्तर और बुद्धिमत्तापूर्ण प्रयोगसे होंगी। भारतीयोंके बारेमें की जानेवाली एक मुख्य आपत्ति यह है कि वे यूरोपीय नियमोंके अनुसार नहीं रहते। इसका उपाय यह है कि उन्हें ज्यादा अच्छे मकानों में रहनके लिए बाध्य करके और उनमें नयी-नयी जरूरतें पैदा करके क्रमशः उनके रहन-सहनको ऊँचा उठाया जाये। ऐसे प्रवासियोंको पूरी तरह अलग करके उनको पुरानी अनुन्नत स्थितिमें बनाये रखने का प्रयत्न करने की अपेक्षा शायद उनसे यह माँग करना ज्यादा आसान भी होगा कि वे अपनी नयी हालतोंके अनुसार ऊपर उठे। कारण, यह मनुष्य-जातिके महान् प्रगति-आन्दोलनोंके अधिक अनुरूप है।

हमारा विश्वास यह भी है कि बहुत-सी दुर्भावनाएँ इसलिए पैदा हुई हैं कि दक्षिण आफ्रिकाके लोगोंको भारतमें रहनेवाले भारतीयोंके बारेमें समुचित ज्ञान नहीं है। इसलिए हम आवश्यक जानकारी देकर दक्षिण आफ्रिकाके लोकमतको शिक्षित करने का प्रयत्न कर रहे हैं। कानूनी बाधाओं और निषेधोंके बारेमें हमने भारत और इंग्लैंड, दोनों देशोंके लोकमतको अपने अनुकूल प्रभावित करने का प्रयत्न किया है। आप जानते ही हैं कि इंग्लैंडमें उदार और अनुदार, दोनों पक्षोंने बिना भेदभावके हमारा समर्थन किया है। लंदन 'टाइम्स' ने बड़ी सहानुभूतिके साथ हमारे ध्येयके पक्षमें आठ अग्रलेख लिखे हैं। केवल इतनेसे ही दक्षिण आफ्रिकाके यूरोपीयोंकी नजरोंमें हम एक सीढ़ी ऊँचे उठ गये हैं। वहाँके पत्रोंकी ध्वनि बहुत सुधर गई है। कांग्रेसकी ब्रिटिश समिति दीर्घकालसे हमारे लिए काम कर रही है। श्री भावनगरी जबसे संसदमें पहुँचे, बराबर हमारे ध्येयकी हिमायत करते आ रहे हैं। वे इसके लिए खास मौका ताकते नहीं बैठते। हमारे लंदनके एक सबसे बड़े हमदर्द कहते हैं