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प्रस्तावना : 'हरी पुस्तिका' के द्वितीय संस्करणकी

है। मैं मद्रास महाजन-सभाके शिष्ट मंत्रियोंको खास तौरसे धन्यवाद देता हूँ, जिन्होंने अथक उत्साहसे परिश्रम करके सभाका आयोजन किया और हमारे कार्यको अपना ही बना लिया। मैं यही आशा करता हूँ कि अबतक जो सहानुभूति और समर्थन प्रदान किया गया है, वह जारी रहेगा और हमें न्याय प्राप्त करने में बहुत देरी न लगेगी। मैं आपको और जनताको विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि गत रात्रिकी सभाका समाचार जब दक्षिण आफ्रिका पहुँचेगा, वह वहाँके भारतीयोंके हृदयोंको हर्ष, उल्लास और धन्यवादकी भावनासे भर देगा। ऐसी सभाएँ हमारे ऊपर छाई हुई विपत्तिकी घटाओंमें आशाकी किरणें बनेंगी। चूंकि रातको बहुत देरी हो गई थी, अतः में इन भावनाओंको व्यक्त नहीं कर सका था। इसलिए यह पत्र लिख रहा हूँ। मेरी पुस्तिकाकी नकलोंके लिए जो छीना-झपटी हई, उसका दश्य ऐसा था कि मैं उसे सरलतासे नहीं भूलूंगा। मैं पुस्तिकाका दूसरा संस्करण निकाल रहा हूँ। जैसे ही वह तैयार हुआ, उसकी नकलें सभाके कृपालु मंत्रियोंसे मिल सकेंगी।

मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, २८-१०-१८९६

१३. प्रस्तावना : 'हरी पुस्तिका' के द्वितीय संस्करण की

मद्रासके पचैयप्पा-भवनकी सभामें[१] इस पुस्तिकाकी प्रतियोंके लिए जो छीनाझपटी हुई, उसके कारण इसका दूसरा संस्करण निकालना आवश्यक हो गया है। वहाँ जो दृश्य दिखाई दिया था उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।

पुस्तिकाकी मांगसे दो बातें सिद्ध हुई—दक्षिण आफ्रिकावासी भारतीयोंके कष्टोंके प्रश्नका महत्त्व कितना है, और समुद्र-पार-निवासी देशभाइयोंकी भलाईमें भारतीय जनताने कितनी दिलचस्पी दिखाई है।

आशा है कि यह दूसरा संस्करण भी पहली आवृत्तिके समान ही शीघ्रतापूर्वक खप जायेगा, और यह सिद्ध हो जायेगा कि इस विषयम जनताकी दिलचस्पी कायम है। कदाचित दुखड़ोंका मुख्य इलाज प्रचार ही है, और यह पुस्तिका उस लक्ष्यकी पूर्तिका एक साधन है।

इसमें जो परिशिष्ट जोड़ दिया गया है, वह प्रथम आवृत्तिमें नहीं था। नेटालके एजेंट-जनरलने रायटरके प्रतिनिधिको जो वक्तव्य दिया है उसके उत्तरमें यह अंश मद्रासके भाषणमें पढ़कर सुनाया गया था। इस तरह यह मद्रासके भाषणका अंश है।

पुस्तिकामें नेटाल प्रवासी-कानून संशोधन अधिनियमका जिक्र किया गया है। दक्षिण आफ्रिकावासी भारतीयोंके दुर्भाग्यसे उसे सम्राज्ञीकी स्वीकृति प्राप्त हो गई है। सादर निवेदन है कि इस प्रश्नका हमारे लोकनिष्ठ व्यक्तियोंको अधिकसे-अधिक बारीकीके

  1. देखिए पिछला शीर्षक।

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