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१६. पत्र : 'इंग्लिशमैन' को[१]

कलकत्ता
१३ नवम्बर, १८९६

संपादक, 'इंग्लिशमैन'
महोदय,

"मोहनदास[२] (मेरे नामका पहला हिस्सा) को भेजिए। रोड भारतीयोंको पृथक् बस्तियोंमें खदेड़ रहे है।" ये शब्द एक तारके हैं, जो कल नेटालसे दक्षिण आफ्रिका की एक प्रमुख व्यापारी पेढ़ी—दादा अब्दुल्ला एंड कम्पनीके बम्बईके एजेंटोंको मिला है। एजेंटोंने बड़ी मेहरबानी करके यह संदेश मुझे तारसे भेज दिया है। इससे मेरे लिए एकदम कलकत्तासे रवाना हो जाना बिलकुल आवश्यक हो गया है।

"रोड" गलत है। मैं मानता हूँ कि इसका मतलब "रोड्स"[३] अर्थात् केपकी सरकार है। इसलिए, इस समाचारका अर्थ यह है कि केपकी सरकार भारतीयोंको पृथक् बस्तियोंमें जाकर बसने के लिए बाध्य कर रही है। और यह असम्भाव्य भी नहीं है। क्योंकि केप-सरकारने ईस्ट लंदन म्युनिसिपैलिटीको भारतीयोंको पृथक् बस्तियोंमें हटाने का अधिकार दे दिया है। फिर भी, यह देखते हुए कि भारतीयोंका पूरा मामला इस समय श्री चेम्बरलेनके विचाराधीन है, इस प्रकारकी प्रत्यक्ष कार्रवाइयाँ कुछ समयके लिए स्थगित रखी जा सकती थीं।

समाचारसे इस प्रश्नके भारी महत्त्वका और इस विषयमें दक्षिण आफ्रिकाके भारतीय समाजकी जोरदार भावनाओंका पता चलता है। अगर उन्होंने तीव्र अपमान अनुभव न किया होता तो वे यह खर्चीला सन्देश न भेजते। पृथक बस्तियोंमें हटाये जानेका परिणाम यह भी हो सकता है कि जिन व्यापारियोंपर इसका असर पड़े वे बिलकुल बरबाद हो जायें। परन्तु दक्षिण आफ्रिकामें भारतीयोंके भलेकी परवाह किसे है?

लन्दन 'टाइम्स' ने कहा है :

भारतमें अंग्रेजों, हिन्दुओं और मुसलमानोंके सामने यह प्रश्न मुंह बाये खड़ा है कि जिन नयी औद्योगिक प्रवृत्तियोंकी इतने दिनों और इतनी उत्सुकता

  1. यह पत्र "दक्षिण अफ्रीका के भारतीय" शीर्षक से प्रकाशित हुआ था।
  2. साधन-सूत्र में "मोहनलाल" है जो स्पष्टः चूक है।
  3. गांधीजीको बाद में मालूम हुआ कि वह शब्द वास्तव में 'राट' था जो डच भाषा में विधानसभा का पर्याय हैं। देखिए पत्र इंग्लिशमैनको, ३०–१८–१८९६।