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१८. भाषण : पूनाकी सार्वजनिक सभामें[१]

१६ नवम्बर, १८९६

भाषणमें मुख्यतः विषयसे सम्बन्ध रखनेवाली एक पुस्तिकाके[२] अंश पढ़े गये। पढ़ने के साथ-साथ बीच-बीच में टीका-टिप्पणी की जाती रही। पुस्तिकामें वर्णन किया गया है कि दक्षिण आफ्रिकामें भारतीयोंके साथ कैसा कैसा सलूक किया जाता है। उसके अन्तमें कुछ लोगोंके नाम दिये गये हैं। बताया गया है कि वे दक्षिण आफ्रिकावासी भारतीयोंके प्रतिनिधि हैं और उन्होंने ही सरकारी अधिकारियों और आम जनताके सामने उनके दुखड़े पेश करने के लिए श्री गांधीको नियुक्त किया है।

भाषणकर्ताने अपने श्रोताओंसे अनुरोध किया कि सरकारको परिस्थितियोंका परिचय कराकर और अजियाँ देकर दक्षिण आफ्रिकावासी भारतीयोंकी हालत सुधारने के लिए वे जो कुछ भी कर सकते हों, सब करें।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे पुलिस एब्स्ट्रैक्ट्स, १८९६, पृ॰ ४०५

  1. सभा जोशी-भवनमें डाॅ॰ रामकृष्ण गोपाल भांडारकरकी अध्यक्षतामें हुई थी। गांधीजीके भाषणके बाद लोकमान्य बालगंगाधर तिलक का एक प्रस्ताव मंजूर किया गया था, जिसके द्वारा दक्षिण अफ्रीकावासी भारतीयोंके प्रति सहानुभूति प्रकट किया थी और एक समिति बनाकर उसे उनपर लादे गये प्रतिबन्धों केबारे में भारत-सरकार को एक स्मरण पत्थर भेजने का अधिकार दिया गया था। समिति के सदस्य डाॅ॰ रामकृष्ण भांडारकर, लोकमान्य बालगंगाधर तिलक, प्रोफेसर गोपालकृष्ण गोखले और छह अन्य सदस्य नियुक्त किए गए थे भाषण का पुरा पाठ उपलब्ध नहीं है।
  2. 'हरी पुस्तिका'।

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