पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 2.pdf/१५१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१२९
भेंट : 'नेटाल एडवर्टाइज़र' को


यह पुस्तिका आपने कहाँ तैयार की?

मैंने उसे नेटालमें नहीं लिखा। सारीकी-सारी पुस्तिका भारत जाते हुए जहाजपर लिखी।

पुस्तिकामें जो जानकारी दी हुई है वह आपने कैसे प्राप्त की?

मैंने निश्चय कर लिया था कि दक्षिण आफ्रिकामें भारतीयोंकी स्थितिके बारेमें सारी जानकारी मुझे होनी चाहिए। इस हेतुसे मैंने यह प्रबन्ध किया कि इस प्रश्नसे सम्बन्ध रखने वाले ट्रान्सवालके कानूनोंका अनुवाद मुझे मिल जाये। इसी प्रकार केप-उपनिवेश और दक्षिण आफ्रिकाके दूसरे हिस्सोंमें रहनेवाले मित्रोंसे भी मैंने कह रखा था कि उनके पास इस बारेमें जो जानकारी हो, उसे वे मेरे पास भेज दें। इस तरह भारत जानेका निश्चय करने से पहले ही मेरे पास यह सारी सामग्री तैयार पड़ी थी। और मैंने उसे पढ़ लिया था। नेटालके भारतीयोंकी तरफसे इंग्लैंडकी सरकारको जो स्मरणपत्र समय-समयपर भेजे गये थे, उनमें साम्राज्यके दृष्टिकोणको हमेशा प्रमुखतापूर्वक सामने रखा गया था।


क्या ये स्मरणपत्र मताधिकारके सम्बन्धमें थे?

केवल वही नहीं। उपनिवेशने बाहरके लोगोंके प्रवेशके बारेमें जो कानून मंजूर किये है, उनका तथा ट्रान्सवालके आन्दोलनका[१] भी उनमें उल्लेख था।

उस पुस्तिकाके प्रकाशनमें आपका हेतु क्या था?

मेरा हेतु यह था कि मैं भारतीय जनताके सामने ये सारी बातें रख दूं कि दक्षिण आफ्रिकामें भारतीयोंकी स्थिति क्या है। यहाँके लोगोंका खयाल है कि भारतमें जनताको ठीक-ठीक पता नहीं है कि कितने भारतीय विदेशोंमें हैं, तथा वहाँ उनकी स्थिति क्या है। इस विषयकी तरफ भारतीय जनताका ध्यान दिलाना ही उस पुस्तिकाके प्रकाशनका हेतु था।

किन्तु क्या इसके अलावा आपका और कोई परोक्ष उद्देश्य नहीं रहा?

दूसरा उद्देश्य यह था कि देशके बाहर भारतीयोंको वह प्रतिष्ठा मिले जिससे हमें संतोष हो। अर्थात्, सन् १८५८ की घोषणाके अनुसार।

क्या आप आशा करते हैं कि इसमें आप सफल हो सकेंगे?

निश्चय ही मुझे आशा है कि भारतकी जनताकी मददसे हम अपने उद्देश्यमें बहुत जल्दी सफल हो जायेंगे।

तो इसके लिए आप किन उपायोंका अवलम्बन करना चाहते हैं?

हम चाहते हैं कि वे इसके लिए भारतमें वैध आन्दोलन करें। वहाँ जितनी भी सभाएँ हुई उनमें से प्रत्येक में इस आशयके प्रस्ताव स्वीकृत किये गये कि समाके अध्यक्ष भारत-सरकार और इंग्लैंडकी सरकारके नाम स्मरणपत्र तैयार करें और

  1. यह आन्दोलन ट्रान्सवालके उस कानून के खिलाफ था, जिसका मंशा भारतीयोंको निर्दिष्ट पृथक् बस्तियों में रहने और अपना व्यपार भी वहीं करने के लिए बाध्य करना था। देखिए, खण्ड, १ पृ॰ २०८–३०।