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२८. अकाल-पीड़ितोंकी सहायताके लिए धन-संग्रहकी अपील[१]

[३ फरवरी, १८९७ ]

हिन्दी भाईबंद। अपने हमेशा खा-पीके मझा करते हैं और हिन्दुस्थानमें लाखों आदमी भुख से मरते है यह बारेमें अपनेकु ख्याल करना चाहीए आपकु मालम होगा कि आजकाल हिन्दुस्थानमें दुकाळके लीए बड़ा कोप हुआ है और लाखों आदमी मरते है. उसकु मदद करने के वास्ते राणी सरकारके सब मुलकमें अपने हिन्दुस्थानके बड़े बड़े आदमी अरजी करते है ऐसे लोककु अपने हिन्दुस्थानी लोकने मदद करना ओ बड़ी फरज है. कोई ऐसा नहीं केने सकते के हम तो कल दो तीन फालेमें पैसा दीया. कबी एक आदमी तुमारा दरवाजा पर भुखसे मरता तब तुम एसा बोलने सकते नहीं. और तुम एसा बी नहीं बोल सकते कि तुमारे देने से इतना बोत आदमीकु क्या मदद होगा. ऐसा सब आदमी बोलते तो हिन्दुस्थानमें वोह दुःखी लोकमें से कोई बी आदमी जीएगा नहीं. हम आप सबकु आजीजी करके बोलते है के आपसे जीतना बने इतना देना चाहीए. ए पैसा जमा करने के वास्ते एक जमात हुई है, और जो कोई आदमी कमती में कमती दश शीलींग देयगा उसका नाम हिन्दुस्थानके बड़े-बड़े छापेमें आयगा. जमातमें,बाब दादा अबदुला,बाब महमद कासम कमरूदीन, आजम गुलाम हुसेन, बाबु मोहनलाल राय, बाबु सैयद महमद, बाबु सायमन वेडमुटु, बाब आदमजी मीयाखान, बाब रुस्तमजी, बाब पी. दावजी महमद, बाब मसा हाजी कासम, बाब दाउद महमद, बाब डन, बाब रायपन, बाब लोरेन्स, बाब गोडफे, बाब उसमान आमद, बाबु एन. वी. जोशी, बाबु जोस्युआ, बाबु गेब्रीअल, बाबु हाजी अब्दुला, बाबु हासम सुमार, बाबु पीरन महमद, बाबु मोगरारीआ, बाबु एम. के. गांधी और दुसरे बाबु लोक है

कमतीमें कमती अपने लोकमें एक हजार पौंड होना चाहीए. और उससे जास्ती पण होना चाहीए. लेकीन कीतना होना वो तुमारी दीलसोजी उपर है. इंग्लीश

  1. यह अपील ३ फरवरीको अकाल-पीड़ितोंकी सहायताके सवालपर विचार करने के लिए। भारतीयों की जो सभा हुई थी, उसके द्वारा नेटालके विभिन्न केन्द्रोंसे चन्दा एकत्र करने के लिए बनायी गयी समिति द्वारा जारीकी गयी थी। साबरमती संग्रहालयमें इस अपील की दफ्तरी नकलें गुजराती, उर्दू और तमिलमें भी प्राप्त है‌ जिससे प्रकट होता है कि नेटालवासी भारतीयों द्वारा अन्य भाषाओं में भी इसका अनुवाद हुआ था।

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