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पत्र : जे॰ बी॰ राॅबिन्सनको

है वह भारतके अकालोंके इतिहासमें बेजोड़ है। यह उग्र संकट इतना व्यापक है कि सरकार और जनता दोनोंने भारतीयोंसे अधिकसे-अधिक दान देनेकी प्रार्थना की है। भारतके सब हिस्सोंमें अकालपीड़ित सहायता-कोष समितियाँ बना दी गई हैं; परन्तु वे संकट के बढ़ते हए ज्वारको रोकने में पूरी-पूरी और हर तरहसे नाकाफी सिद्ध हुई है। लोग दिलोजानसे, दीन, संकटग्रस्त मानव-समुदायोंको राहत पहुंचाने में लगे हुए हैं। परन्तु उनके प्रयत्नोंके बावजूद जनता तेजीके साथ मौतके मुंहमें समाती जा रही है। भारतकी सरकार और जनता सफल रूपसे इस विभीषिकाका सामना करने में असमर्थ है और, कोई ताज्जुब नहीं कि अंग्रेज जनताने भी अपना सदा-तत्पर सहायता का हाथ बढ़ा दिया है।

इंग्लैंडके पत्रोंने पूरी संजीदगीके साथ इस विषयको उठाया है। और, जैसा कि आपको मालूम है, 'मैशन हाउस[१] फंड' के नामसे एक सहायता कोष जारी कर दिया गया है। कहा जाता है कि विदेशी राज्योंने भी सहायताका वचन दिया है।

सम्भवतः भारतके अकालोंके इतिहासमें यह पहला ही मौका है कि उपनिवेशोंसे सहायता-कोष खोलने का अनरोध किया गया है। और हमें कोई सन्देह नहीं है कि प्रत्येक वफादार ब्रिटिश प्रजाजन आर्थिक सहायता देने के इस अवसरका खुशीसे लाभ उठायेगा और अपने करोड़ों भूखों मरते हुए प्रजाबन्धुओंके भयानक कष्टोंको घटाने के लिए जो भी आर्थिक सहायता दे सकता है, अवश्य देगा।

कलकत्तासे वहाँकी केन्द्रीय सहायता-समितिकी ओरसे बंगालके मख्य न्यायाधीशके तारके फलस्वरूप मेयरने अपने उत्तरदायित्वको महसूस करके और अपने कर्तव्यको है एक ऐसा कोष पहले ही खोल रखा है।[२] दुनियाके सब हिस्सोंमें रहनेवाले भारतीय इस विषयमें जोरदार प्रयत्न कर रहे है। और केवल डर्बनमें ही कल तक वे लगभग ७०० पौंड चन्दा जमा कर चुके है। दो पेढ़ियोंने सौ-सौ पौंडसे ज्यादा और एकने ७५ पौंड चन्दा दिया है। और यह आशा करने के लिए काफी आधार मौजूद है कि यह चन्दा लगभग १,५०० पौंड तक पहुँच जायेगा।

महोदय, हमने आपकी सेवामें निवेदन करने की स्वतन्त्रता इसलिए ली है कि हमें पूरा भरोसा है, आपको हमारे ध्येय और उद्देश्यसे सहानुभूति होगी। अतः हम आपसे अनुरोध करते है कि आप एक सहायता-कोष जारी करें। निस्सन्देह आप, अपने अपार प्रभाव और कार्यशक्तिसे, अकालके प्रकोपके भीषण परिणामोंसे करोड़ों पीड़ितोंको बचाने के प्रयत्नोंमें भारतकी जनताको ठोस सहायता पहुंचा सकते हैं। और हमें निश्चय है कि दक्षिण आफ्रिकाके अन्य सब भाग मिलकर जो कुछ कर सकते हैं उससे बहुत अधिक, इस दिशामें अपनी अपार सम्पत्तिसे, अकेला जोहानिसबर्ग कर सकता है।

  1. लंदन में मेयरका निवाशस्थान इस कोसमें अन्ततक ५,५०,००० पौंड की राशी इकट्ठी हुई थी। इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका, १९६५।
  2. देखिए "पत्र : फ्रांसिस डब्ल्यू॰ मैक्लीन को" ७–५–१८९७।