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सम्पूर्ण गांधी वाङ् मय

(आपके प्रार्थी निवेदन करना चाहते हैं कि डॉ॰ मैकेंजीके इस बयानका आज तक खंडन नहीं किया गया और सुगमतापूर्वक कल्पना की जा सकती है कि इससे आन्दोलनको कितना बढ़ावा मिला होगा।)

कुछ सज्जनोंने कहा है कि संगरोधकी अवधि बढ़ा दो। ठीक यही काम संसद करनेवाली है (तालियाँ और 'जहाजको डुबा दो' की आवाजें)। कल रात मैंने एक समुद्री सैनिकको यह कहते सुना था कि जो कोई जहाजपर गोला छोड़ देगा उसे मैं एक महीनेकी तनख्वाह दूंगा। क्या यहाँ मौजूद हरएक व्यक्ति इस सभाके उद्देश्यकी पूतिके लिए एक-एक महीनेकी तनख्वाह देनेको तैयार है? (तालियाँ और 'हाँ-हाँ' की आवाजें) तो फिर सरकारको पता चल जायेगा कि उसके पीछे कितनी ताकत है। हमारी सभाका एक उद्देश्य सरकारको अपनी इस इच्छाकी सूचना दे देना भी है कि हम संगरोधको अवधि बढ़ाने के लिए संसदका विशेष अधिवेशन बुलाना चाहते हैं। (तालियाँ) स्मरण रखना चाहिए कि जल्दबाजीमें बनाया हुआ कानून अपने उद्देश्यकी पूर्ति बहुत कम कर पाता है। परन्तु ऐसा कानून बनाया जा सकता है जिससे कि हमें समय मिल जाये और जब हम उपयुक्त कानून बनवाने के लिए लड़ रहे हों उस बीच वह हमारी रक्षा करता रहे। हमने श्री एस्कम्बको सुझाया था, और वे हमसे सहमत हो गये, कि चूंकि संगरोधके कानून संगरोधको अनिश्चित कालतक बढ़ा देनेका अधिकार नहीं देते, इसलिए यदि आवश्यकता हो तो ऐसा कानून पास करने के लिए एक, दो या तीन दिनतक संसदको बैठक की जाये, जिससे कि हमें बम्बईको छूतका क्षेत्र घोषित करने का अधिकार मिल जाये। हम उसे वैसा घोषित करते हैं। और जबतक यह घोषणा वापस नहीं ले ली जाती तबतक कोई भी भारतीय बम्बईसे यहाँ नहीं आ सकता।[१] (जोरको तालियाँ) मेरा खयाल है कि हमारे शिष्टमण्डलकी आज प्रातःकाल श्री एस्कम्बके साथ जो बातचीत हुई उससे हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि यदि हमने अपना काम ठीक प्रकारसे किया और सरकारके मार्गमें बाधा डालने की कोई कार्रवाई न की तो हम संसदका अधिवेशन यथाशीघ्र बुलवा सकेंगे और जबतक कोई कानून सदाके लिए पास नहीं हो जाता तबतक और कुलियोंको उतरने से रोक सकेंगे। (तालियाँ)

डॉ॰ मैकेंजी :

डर्बनके मर्द इस विषयमें सर्वथा एकमत हैं (संसदकी बैठक जल्दी करने के विषयमें)। मैंने कहा, "डर्बनके मर्द "—क्योंकि इस जगहके आसपास कुछ बूढ़ी स्त्रियाँ भी चक्कर काट रही हैं। (हँसी और तालियाँ) और, अखबारोंकी

  1. वास्तव में नेटालकी संसदमें एक विधेयक पास कर लिया गया था। देखिए "प्रर्थनापत्र नेटाल विधानसभाकी" २६–१८–१९९७ और "प्रर्थनापत्र : उपनिवेश-मंत्रीको", २–७–१८९७ के परिशिष्ट का‌।