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प्रर्थनापत्र-उपनिवेश-मंत्रीको

हुए उसके पत्रसे तो स्पष्ट थी, साथ ही इससे भी स्पष्ट थी कि ११ जनवरीको यूनियन स्टीमशिप कम्पनीका 'ग्रीक' नामक जो जहाज डेलागोआ-बे से कुछ भारतीय यात्री लेकर आया था उसके यात्रियोंको समितिवालों ने बिना किसी रोकटोकके तंग किया था; बन्दरगाहके अधिकारी उनके व्यवहारसे प्रायः सहमत थे; और यूनियन कम्पनीके प्रबन्धकर्ता भी समितिकी "आज्ञाओंका पालन करने को तैयार थे, आदि)। इसलिए ११ जनवरीकी शामको उन्होंने तटपर जाकर प्रदर्शन-समितिके साथ बातचीत की, और समितिने एक कागज लिखकर मास्टरोंके हस्ताक्षरों के लिए तैयार किया (परिशिष्ट ब क)। परन्तु उन्होंने उसपर हस्ताक्षर नहीं किये और बातचीत बीचमें ही रह गई।

प्रदर्शनसे ठीक पहले समितिकी स्थिति क्या थी, यह भी देख लेना उचित होगा। समितिके एक प्रवक्ता डॉ॰ मैकेंजीने कहा :

"हमारी स्थिति वही है जो पहले थी; अर्थात् हम एक भी भारतीयको यहाँ नहीं उतरने देंगे" (तालियां)

समितिके एक अन्य सदस्य कप्तान वाइलीने भाषण देते हए "गांधी कहाँ है?" के जवाबमें कहा :

आपका खयाल क्या है, वह कहाँ होगा? 'हम' (जहाजपर भेजा हुआ समितिका शिष्टमंडल) क्या 'उसे देख पाये?' नहीं। 'कूरलैंड' का कप्तान गांधीसे भी वैसा ही बरताव करता था जैसा अन्य यात्रियोंसे। (तालियाँ) वह जानता था कि हमारी सम्मति उसके विषयमें क्या है। वह हमें बहुत अधिक कुछ नहीं बतला सका। 'आपके पास उसके लिए डामर (टार) तैयार है या नहीं? वह वापस तो नहीं लौट जायेगा?' हमें पूरी आशा है कि भारतीय लौट जायेंगे। वे नहीं लौटेंगे तो समितिको डर्बनके मदोंकी जरूरत होगी।

'नेटाल एडवर्टाइज़र' (१६ जनवरी) का कथन है :

जब यह खबर लगी कि 'कूरलैंड' और 'नादरी' बन्दरगाहमें जानेकी हिम्मत कर रहे हैं और जब बुधवारको प्रातः १० बजेके कुछ बाद बिगुलवाले डर्बनकी गलियोंमें छलाँगे भरने लगे, तब आम खयाल यही हुआ कि यदि भारतीय यात्रियोंने उतरने का प्रयत्न किया तो बेचारोंकी बहुत दुर्गति होगी। और यदि वे उतरने से डरकर जहाजपर ही रहे तो भी लोगोंके चिढ़ाने, चिल्लाने और गुर्रानेसे वे बहरे और पागल हो जायेंगे। और आखिर अन्त वही होगा जो पहले सोचा गया था—"कुछ भी क्यों न हो, उन्हें उतरने नहीं दिया जायेगा।"

मालिकोंको जब यह बतलाया गया कि जहाजोंको बन्दरगाहमें आने दिया जायेगा, उससे बहुत पहले इसकी सूचना शहर-भरको मिल चुकी थी। लोगोंको इकट्ठा होनेकी सूचना प्रातः १०-३० बजे बिगुल बजाकर दी गई। तब दुकानदारोंने दूकानें बढ़ा दी और लोग जाकर जहाज-घाटपर इकट्ठे होने लगे। 'नेटाल एडवर्टाइज़र' में वहाँ एकत्र हुए लोगोंकी निम्न सूची छपी थी।