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प्रर्थनापत्र : उपनिवेश-मंत्रीको

उपनिवेश-मंत्रीको पता सुगमतासे लगाया जा सकता है। अन्य लोग समितिके सदस्योंके नौकर थे। एक सदस्यने तो इस मौकेका विशेष लाभ उठाकर अपनी पेढ़ीका विज्ञापन करने के लिए अपनी दूकानके नौकरोंको वहाँ भेज दिया था। उनमें से हरएकके हाथम दो या तीन लाठियाँ थीं और उनकी पीठपर बड़े-बड़े अक्षरों में पेढ़ीका नाम लिखा था।"

श्री लैबिस्टरने नगरनिगमको जो पत्र लिखा है, जिसमें गत बुधवारको प्रदर्शन करने के लिए लाठियोंसे लैंस वतनी लोगोंका दल एकत्र करन के खतरेको ओर ध्यान खींचा गया है और जिसमें नगर-परिषदसे इस मामलेको जाँच करनेके लिए कहा गया है, उसकी उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। हमें विश्वास है कि वतनी लोगोंके गिरोहको बन्दरगाहपर इकट्ठा करने की जिम्मेदारी प्रदर्शनसमितिपर किसी भी प्रकार नहीं है। परन्तु वतनी लोग वहाँ स्वयं भी नहीं गये होंगे। और इसलिए इस मामलेकी पूरी तरह जाँच करके दोष उन व्यक्तियों पर डाला जाना चाहिए जिन्होंने कि यह गम्भीर उत्तरदायित्व अपने सिर ले लिया था। श्री लैबिस्टरका यह कथन सर्वथा उचित है कि प्रदर्शनमें वतनियोंकी उपस्थिति उर्बनके उज्ज्वल नामपर एक कलंक है और इसके परिणाम बहुत भयंकर हो सकते थे। भारतीय और वतनी एक-दूसरेको पसन्द नहीं करते। यदि वतनियोंका कोई दल इकट्ठा करके उसे भारतीयोंके विरुद्ध भड़का दिया गया तो इसका परिणाम भयंकर और दुःखदायी हो सकता है। ऐसे मामलोंको चतनी लोग दलीलसे नहीं समझ सकते, उनका जोश झट भड़क जाता है और उनका स्वभाव लड़ाकू है। तनिक-सी उत्तेजनासे वे आग-बबूला हो जाते हैं और जहाँ खून बहाने की बात हो वहाँ तो वे कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते हैं। इससे भी अधिक लज्जाजनक बात यह थी कि जब श्री गांधी उतर गये और उन्हें फील्ड स्ट्रीटमें ठहरा दिया गया लब वतनियोंको भारतीयोंपर हमला करने के लिए उकसाया गया। यदि पुलिस चौकन्नी न होती और वतनियों को तितर-बितर करने में सफल न हो पाती तो बुधवारकी रातका अन्त ऐसे भयंकर दंगोंके साथ होता जैसेकि कभी किसी ब्रिटिश उपनिवेशमें न हुए होंगे, क्योंकि एक जंगली लड़ाकू जातिको एक अधिक सभ्य और शान्त जातिके विरुद्ध उन दोनोंसे अधिक ऊँची जातिके लोगोंने भड़का दिया था। इसके कारण यह उपनिवेश बहुत दिनोंके लिए बदनाम हो जाता। जिन चार काफिरोंने फील्ड स्ट्रीटमें बुधवार की साँझको शोर मचाया और लाठियाँ घुमाई थीं, उन्हें गिरफ्तार करने की बजाय उन गोरे लोगोंको गिरफ्तार करना चाहिए था जो उन्हें वहाँ लाये थे और जिन्होंने उन्हें भड़काया था। और उन्हें मजिस्ट्रेटके सामने पेश करके काफिरोंपर जो जुर्माना किया गया, उसके अनुपातमें ही भारी जुर्माना कराना चाहिए था। काफिरोंको तो बलिका बकरा-मात्र बनाया गया और यह उनके