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सम्पूर्ण गांधी वाङ् मय

सरकार द्वारा इसी प्रयोजनसे अधिकृत कोई भी अधिकारी किसी भी जहाजके मास्टर, मालिक या एजेंटके साथ यह करार कर सकेगा कि वह नेटालमें पाये गये किसी निषिद्ध प्रवेशार्थीको उसके जन्म-देशके किसी बन्दरगाहतक या वहाँसे समीपके किसी बन्दरगाहतक ले जाये; और कोई भी पुलिस अधिकारी उस प्रवेशार्थीको उसके निजी सामान-सहित उस जहाजपर सवार करा सकेगा, और यदि वह प्रवेशार्थी निर्धन हो तो उसे उस जहाजसे उतरने के पश्चात् अपने जीवनकी परिस्थितियोंके अनुसार एक महीनेतक निर्वाह करने लायक नकद धन दिया जा सकेगा। (११) जो व्यक्ति किसी निषिद्ध प्रवेशार्थीकी इस अधिनियमके विधानोंका उल्लंघन करने में सहायता करेगा, उसे भी इस अधिनियमका उल्लंघन करने का अपराधी माना जायेगा।[१] (१२) जो व्यक्ति इस अधिनियमको धारा ३ को उपधारा (छ) के अनुसार निषिद्ध प्रवेशार्थीको नेटालमें आने में सहायता करेगा, उसे इस अधिनियमके उल्लंघनका अपराधी माना जायेगा और अदालतमें वैसा सिद्ध हो जानेपर उसे एक वर्ष सख्त कैदतक की सजा दी जा सकेगी। (१३) जो व्यक्ति, उपनिवेश-सचिव द्वारा हस्ताक्षरित, लिखित या मुद्रित अधिकारपत्रके बिना, किसी पागल या अहमकको नेटालमें लायेगा, उसे इस अधिनियमका उल्लंघन करनेवाला माना जायेगा, और उसे अन्य दण्डके अतिरिक्त, जबतक वह पागल या अहमक इस उपनिवेशमें रहेगा तबतक उसके भरण-पोषणके लिए उत्तरदायी ठहराया जायेगा। (१४) कोई भी पुलिस अधिकारी या इस अधिनियमके अनुसार इस प्रयोजनके लिए नियुक्त अन्य अधिकारी, इस अधिनियमकी धारा ५ की शोंकी पाबन्दी करते हुए, निषिद्ध प्रवेशाथियोंको स्थल या जल-मार्गसे नेटालमें प्रविष्ट होनेसे रोक सकेगा। (१५) गवर्नर चाहेगा तो समय-समयपर इस अधिनियमके विधानोंका पालन करवानेवाले के लिए अधिकारियोंकी नियुक्ति कर सकेगा, उन्हें अपनी इच्छानुसार हटा सकेगा, और उनके कर्तव्य निर्धारित कर सकेगा, और उन अधिकारियोंको अपने विभागके प्रधान अधिकारी द्वारा समय-समयपर दिये गये आदेशोंका पालन करना होगा। (१६) सपरिषद गवर्नर चाहे तो इस अधिनियमके विधानोंका अधिक अच्छी तरह पालन करवाने के लिए समय-समयपर उनके नियमोपनियमोंमें संशोधन या परिवर्तन कर सकेगा। (१७) इस अधिनियमका या इसके अनुसार बनाये गये नियमोपनियमोंका उल्लंघन करनेके लिए दिया गया दण्ड, जिन अपराधोंके लिए विशेष रूपसे अधिक ऊँचे दण्डका विधान कर दिया गया है, उन्हें छोड़कर,

  1. यह विधेयक जिस रूप में स्वीकार हुआ था उसके खण्ड ११, १२, और १३ 'इरादतन' शब्द जोड़ दिया गया था; देखिए पृ॰ २९९।