हमसे मिल ही चुका है। जहाजपर पूर्ण स्वस्थता है और संगरोध-अधिकारीकी आज्ञाओंका पालन किया जा रहा है। हमें जल्दी छुड़ाओ। यात्री देरीके कारण बहुत दुःखी हैं। धन्यवाद।"
२७ दिसम्बर को उक्त पेश होनेवाले ने फिर यह संकेत-सन्देश दिया : "आप कल माँगी हुई चीजें भेज रहे हैं या नहीं?" इसपर संकेत-केन्द्रपर निम्न संकेत दिखलाया गया : "पानी कल सुबह ९ बजे पहुँचाने का प्रबन्ध किया है।" तब उक्त पेश होनेवाले ने यह संकेत-सन्देश ऊँचा किया और निरन्तर दो घंटेतक इसे ऊँचा रखा : "पानीके बिना संकटमें हैं।" जहाजकी सफाई और शोधनका काम पूर्ववत् कठोरतासे किया जाता रहा।
२८ दिसम्बरको यह संकेत-सन्देश दिया गया : "शनिवारको और चिट्ठियों द्वारा माँगी हुई सब चीजें भेजो। घोड़ोंको उतारने के सम्बन्धमें हिदायत भी।" दिनके ११ बजे सामान पुरानेवाली भाप-नौका 'नेटाल' आकर जहाजकी बगलमें लगी और शोधनके लिए कार्बोलिक ऐसिड और धूनी लगाने के लिए गन्धक पहुँचा गई। एक पुलिस अधिकारीने भी जहाजपर आकर इन ओषधियोंका प्रयोग होते देखा। कुछ ताजा पानी भी जहाजपर चढ़ाया गया। जहाजको जलते हुए गन्धककी खूब धूनी दी गई, ऊपर और नीचेकी छतोंको कार्बोलिक ऐसिडसे पूरी तरह धो डाला गया, और सारे जहाजमें इसी, जन्तुनाशक ओषधिका प्रयोग किया गया। सब बिछौने, पट्टियाँ, थैले, टोकरे, और अन्य भी जिस किसी सामानसे रोगकी छूत लगने का भय हो सकता था, वह सब जहाजकी भट्ठी में फूंक दिया गया।
२९ दिसम्बरको जहाजके ऊपर-नीचेकी छतें फिर कार्बोलिक ऐसिडसे धोई गई और जहाजके अन्य भागोंमें भी इसी ओषधिका खुलकर प्रयोग किया गया। उक्त पेश होनेवाले ने यह संकेत-सन्देश ऊपर उठाया : "धूनी और शोधनके कामोंसे जहाज पर मौजूद अधिकारीको सन्तुष्ट कर दिया। संगरोध-अधिकारीको एकदम खबर दें।" चार घंटे बाद, १० बजे, उक्त पेश होनेवाले ने फिर तटपर सन्देश भेजा : "हम तैयार हैं। संगरोध-अधिकारीका इन्तजार है।" २-३० बजे भाप-नौका 'लायन' जहाजकी बगलमें आई और संगरोध-अधिकारीको जहाजपर छोड़ गई। उसने सारे जहाजका निरीक्षण करने के पश्चात् पूर्ण सन्तोष प्रकट किया कि मेरी आज्ञाओंका पालन बहुत अच्छी तरह किया गया है। परन्तु कहा कि जहाजको आजकी तारीखसे १२ दिनतक और संगरोधमें रहना पड़ेगा। ३ बजे फिर यह सन्देश ऊँचा किया गया : "सरकारकी आज्ञासे सब यात्रियोंके बिस्तरे फूंक दिये गये, सरकारसे प्रार्थना है कि नये बिस्तरे तुरन्त दे। उनके बिना यात्रियोंका जीवन संकट में है। हमें लिखित हिदायत चाहिए कि संगरोध कबतक रहेगा, क्योंकि जबानी बताया गया समय संगरोधअधिकारीके हर बार आने के साथ बदलता रहता है। इस बीच बीमार कोई भी नहीं पड़ा। सरकारको सूचना दें कि जबसे हम बम्बईसे चले, तबसे प्रतिदिन हमारे जहाजका शोधन होता रहा है। १०० मुर्गियाँ और १२ भेड़ें भेजो।" जहाजको सफाई और शोधन कठोरतापूर्वक चलता रहा।