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प्रर्थनापत्र : उपनिवेश-मंत्रीको

 

(परिशिष्ट ख)
नकल

[२२ जनवरी, १८९७]

प्रतिवादके इस सार्वजनिक पत्र द्वारा, जिन किन्हीं लोगोंका इससे कोई सम्बन्ध उन सबको विदित और स्पष्ट कराया जाता है कि आज हमारे प्रभु ईसामसीहके एक हजार आठ सौ सत्तानबेवें वर्षके जनवरी मासके बाईसवें दिन लनेटा-उपनिवेशमें, डर्बनके नोटरी पब्लिक मुझ जान मुअर कुकके सम्मुख और इसपर हस्ताक्षर करनेवाले गवाहोंकी उपस्थितिमें, बम्बईके बन्दरगाहके तथा इस समय इस बन्दरगाहके भीतरी भागमें खड़े हुए, ११६८.९२ टन या लगभग इतने ही वजन और १६० हॉर्सपावरके जहाज 'नादरी' के मास्टर-मैरिनर तथा कमांडर फ्रन्सिस जॉन रैफिनने स्वयं आकर और पेश होकर, शपथपूर्वक घोषणा करके निम्न बयान दिया :

उक्त जहाज बिक्रीका साधारण माल और ३५० यात्री लादकर गत ३० [२८?] नवम्बरको बम्बईके बन्दरगाहसे चला था और उसने १८ दिसम्बर, १८९६ को दोपहरको इस बन्दरगाहके बाहर लंगर डाला।

बम्बईसे रवाना होने के पहले, इसके मल्लाहों और यात्रियोंका निरीक्षण और गिनती करके, उनके स्वस्थ होने और बन्दरगाहकी देनदारियाँ अदा कर चुकने का प्रमाणपत्र इसे दे दिया गया था।

सारी यात्रामें एक रसोइयेको छोड़कर सब यात्री और मल्लाह रोगसे मुक्त रहे। उस रसोइयेके पाँव सूज गये थे। परन्तु १९ दिसम्बरको डॉक्टरने उसे देखकर बतलाया कि उसे जिगर और गुर्दोकी कोई उलझी हुई बीमारी है, और उसीके कारण २० दिसम्बरको वह मर गया। यहाँ पहुँचनेपर उक्त पेश होनेवाले व्यक्तिने जहाजके सब लोगोंके स्वस्थता-सम्बन्धी साधारण कागजात इस बन्दरगाहके स्वास्थ्य-अधिकारीके सुपुर्द कर दिये, और उक्त पेश होनेवाले व्यक्तिके पूछनेपर स्वास्थ्य-अधिकारीने उसे सूचना दी कि उक्त जहाजको पाँच दिन संगरोधमें रखा जायेगा, जिससे कि बम्बईके बन्दरगाहसे चलने के समयसे लेकर २३ दिन पूरे हो जायें।

अगले दिन जहाजकी छतें और यात्रियों तथा मल्लाहोंके निवास स्थान धोये और शोधित किये गये।

२० दिसम्बरको जहाजकी छतें और यात्रियों तथा मल्लाहोंके निवास स्थान धो डाले गये और एकसे दूसरे सिरेतक उसका पूरी तरह शोधन कर दिया गया।

२१ दिसम्बरको जहाज धो डाला गया, और सब स्नानघरों व टटि्टयों आदिका पूरी तरह शोधन कर दिया गया, और संगरोधके नियमोंका कठोरतासे पा गया।

२२ दिसम्बरको छतें धोई गई और स्नानघरों व टटि्टयों आदिका ओषधियों द्वारा शोधन किया गया।